ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में पुलिस के हाथ लगे अहम सुराग, बांग्लादेश में मरीजों से लिये गए 20 लाख रुपये

ऑर्गन ट्रांसप्लांट के फर्जी एनओसी देने के मामले में पुलिस अब मुर्तजा अंसारी सहित करीब आधे दर्जन दलालों को पकड़ने के लिए कोशिश कर रही है.

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Organ Transplant Case: ऑर्गन ट्रांसप्लांट के फर्जी एनओसी देने के मामले में पुलिस को कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं. पुलिस अब मुर्तजा अंसारी सहित करीब आधे दर्जन दलालों को पकड़ने के लिए कोशिश कर रही है. बताया जा रहा है कि यह सभी दलाल बांग्लादेशी नागरिकों के ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए फर्जी एनओसी (Organ Transplant Fake NOC) का इंतजाम करते थे. ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में पहले से ही पुलिस को विदेशों से तार जुड़े होने की आशंका थी. जिसके बाद जांच और भी गहनता से की जा रही थी. पुलिस ने आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की है. पूछताछ में भी पुलिस को अहम जानकारियां हाथ लगी हैं. 

बीते एक साल में राजस्थान के फॉर्टिस, इएचसीसी अस्पताल में 202  मरीजों के ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुए हैं. इनमें से 94 बांग्लादेश के हैं. बांग्लादेश के मरीजों से यह दलाल 25 लाख टका यानी 19- 20 लाख रुपए लेते थे. डोनर को 4 लाख टका यानी करीब साढ़े 3 लाख रुपए देते थे. बांग्लादेश के सभी मरीजों को बांग्लादेश के डोनर ने ही ऑर्गन दिए हैं.

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जयपुर पुलिस नेपाल और कंबोडिया में डोनर को ट्रैक कर रही

फर्जी एनओसी देने का मामला सामने आने के बाद एसीबी ने इसकी जांच शुरू की थी. बाद में दर्ज हुई दो एफआईआर के आधार पर जयपुर पुलिस ने भी जांच शुरू की. चिकित्सा विभाग की ओर से फॉर्टिस हॉस्पिटल के खिलाफ जवाहर सर्किल थाने में एवं इएचसीसी के खिलाफ एयरपोर्ट थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया गया था. अब इस दोनों मामले की जांच एसपी गोपाल ढाका कर रहे हैं. जयपुर पुलिस नेपाल और कंबोडिया के दो डोनर को भी ट्रैक करने का प्रयास कर रही है. 

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स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट का इंतजार

इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने उच्च स्तरीय कमिटी बनाई थी. चिकित्सा शिक्षा आयुक्त इकबाल खान की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय कमिटी का गठन किया गया था. कमिटी को 15 दिनों में ही अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी लेकिन अस्पतालों के रिकॉर्ड एसीबी के पास होने के कारण कमिटी को जांच में देर हुई. स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बता रहे हैं कि कमिटी जल्द ही अपनी अंतरिम रिपोर्ट पेश करेगी. इस रिपोर्ट के बाद 12 अस्पतालों एवं अंग प्रत्यारोपण से जुड़े अन्य कर्मियों की भूमिका स्पष्ट हो पाएगी.

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