गणेश चतुर्थी के लिए घर में तैयार किए बप्पा की इको-फ्रेंडली मूर्तियां, मुफ्त में करेंगे वितरित

चुरा परिवार ने संस्कृति,परंपरा और पर्यावरण को ध्यान में रखकर गणेश चतुर्थी पर अनूठी पहल की.इस परिवार ने चिक्कनी मिट्टी से घर में ही इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा बनाने का संकल्प लिया. चूरा परिवार ने 51 बप्पा की मूर्तियां बनाई है जिसे उन्होंने अपने आस-पड़ौस में बांटने का भी संकल्प लिया है.

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गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश भर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. अब यह त्योहार जैसलमेर में भी बड़े धूमधाम से और एनवायरनमेंट फ्रेंडली तरीके से मनाया जाने लगा है. पश्चिमी राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में ही इसका विशेष उत्साह देखने को मिला है. हालांकि जैसलमेर के प्रसिद्ध चूंधी गणेश, परचा गणेश सहित सभी मंदिरों में मेला कई सालों से भरा जाता रहा है. इस सब के बीच भी आस्था के प्रतीक गणेश भगवान की प्रतिमा घरों में स्थापित कर भक्त पूजा अर्चना भी करते है. गणेश चतुर्थी पर चूरा परिवार ने अनूठी पहल की है.

प्रकृति का सम्मान करें

चूरा परिवार ने गणेश चतुर्थी पर जन-जन की आस्था के प्रतीक भगवान गणेश की प्रतिमा को "केमिकल मुक्त" करते हुए इको फ्रेंडली गणेश चतुर्थी बनने का संकल्प लिया है. गौरतलब है कि अब आमजन समझने लगे है कि प्रकृति का सम्मान नहीं करेंगे तो आने वाले समय मे प्रकृति कहर बरपाएगी. इसके जीते जागते उदाहरण कोरोना के रूप में हम सबने देखा है.

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ईको फ्रेंडली गणेश जी

इस अनूठी पहल के पीछे ये है मंशा

गणेश चतुर्थी के पर्व पर जैसलमेर के चूरा परिवार ने अनूठी पहल करते हुए घरों में ही गणेश प्रतिमा बनाने का निर्णय लिया है. गणेश चतुर्थी पर हर कोई अपने घर गणपति बप्पा को जरूर लाता है. चतुर्दशी को बप्पा को वापिस में धूमधाम से विदा किया जाता है. लेकिन जब विसर्जन किया जाता है तो गणपति बप्पा की मूर्ति ही पैरों में नजर आती है. इस बात का ध्यान रखते हुए यह अनूठी पहल की है.

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अब आमजन समझने लगे है कि प्रकृति का सम्मान नही करेंगे तो आने वाले समय मे प्रकृति कहर बरपाएगी. इसके जीते जागते उदाहरण कोरोना के रूप में हम सबने देखा है.

केमिकल फ्री होकर करे बप्पा का स्वागत 

पहल के अंतर्गत वह अब अपने घर में ही चिकनी मिट्टी से गणेश प्रतिमा बनाएंगे क्योंकि सामान्यतः मार्केट में बिकने वाली गणेश प्रतिमाएं प्लास्टर ऑफ पेरिस और केमिकल द्वारा बनाई जाती है. फिर वह पानी में जाने के बाद विसर्जित नहीं हो पाती. विसर्जन के बाद आमजन घर चले जाते है लेकिन गणपति बप्पा की मूर्ति तालाबों के किनारे पर आ जाती है. उसके बाद वह पैरों में नजर आती है.

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गमले में करे विसर्जित 

अनूठी पहल के चलते चूरा परिवार ने आस पड़ोस के लोगों से अपील कर रहे हैं कि अपने घर में ही चिक्कनी मिट्टी से गणेश प्रतिमा बनाएं और घर मे ही एक गमले में गणेश जी को विसर्जित करे. विसर्जन के बाद मिट्टी को पुनः पौधा रोपण में उपयोग में लें. ताकि गणेश चतुर्थी के बाद भी गणेश जी अपनी कृपा आप पर बनाये रखे. इस बार चूरा परिवार के सभी सदस्यों में मिलकर 51 गणेश प्रतिमाएं बनाई है. जिसे वो निःशुल्क वितरित करेंगे.

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