Ranthambore National park: राजस्थान के सवाई माधोपुर का रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है. इसे लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी. बुधवार को इस पर फैसला सुनाया गया. जिसके बाद इस अभयारण्य में सुरक्षित माहौल मिलने के आसार बन गए हैं.
सुरक्षा को लेकर दायर की गई थी याचिका
दरअसल, याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से रणथंभौर टाइगर रिजर्व और अलवर के सरिस्का नेशनल पार्क को लेकर फैसला सुनाया है. जिसमें रणथंभौर में बने त्रिनेत्र गणेश मंदिर और सरिस्का में बने पांडुपुल हनुमान मंदिर पर सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाया है. क्योंकि पिछले कुछ दिनों में त्रिनेत्र गणेश मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों तक सार्वजनिक गतिविधियां बढ़ गई थीं. जिससे जान को खतरा पैदा हो गया था. ऐसे में वाहनों की बढ़ती आवाजाही पर रोक लगाने की बात कही गई थी. जिसके लिए राजस्थान और केंद्र सरकार से दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की थी.
तीन सदस्यीय समिति का किया गठन
इसके बाद बुधवार को मुख्य न्यायाधीश ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति ए.एस. चांदुरकर की पीठ ने फैसला सुनाया. फैसला सुनाते हुए तीन जजों की पीठ ने रणथंभौर में अवैध खनन, वाहनों की भीड़ और अतिक्रमण जैसी समस्याओं के समाधान के लिए कुछ प्रतिबंध लगाए हैं. साथ ही तीन सदस्यीय समिति का गठन भी किया है. और रणथंभौर और सरिस्का के कोर एरिया में खनन पर तत्काल रोक लगा दी है और इस संबंध में राज्य सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगा है.
मंदिर परिसर में खाना बनाने पर प्रतिबंध
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने रणथंभौर में त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग और अलवर में सरिस्का परिसर स्थित गणेश मंदिर और पाडुलोप हनुमान मंदिर में भंडारा और प्रसाद पकाने पर तत्काल रोक लगा दी है. हालांकि टाइगर रिजर्व के बाहर तैयार किए गए प्रसाद को मंदिर में लाने की अनुमति दी गई है. इसके अलाव मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित दुकान पर किसी भी प्रकार का भोजन बनाने पर भी रोक रहेगी, लेकिन बाहर से लाए गए तैयार भोग/प्रसाद की बिक्री की अनुमति होगी.
सरिस्का टाइगर रिजर्व के लिए भी कमेटी
सरिस्का टाइगर रिजर्व में सामने आई समस्याओं को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया है. इसमें जिला कलेक्टर, फील्ड डायरेक्टर सरिस्का टाइगर रिजर्व और सीईसी का सदस्य शामिल होगा। अदालत ने सरिस्का के महत्वपूर्ण बाघ आवास को बाघ प्रजनन के पैटर्न के आधार पर युक्तिसंगत बनाने का भी निर्देश दिया है, ताकि इसका कुल क्षेत्र कम न हो.
पांडुपोल हनुमान मंदिर पर भी आदेश
पांडुपोल हनुमान मंदिर का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट और भक्तों की शिकायतों पर भी सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मंदिर तक जाने वाले सभी निजी वाहनों को रोका जाए और राज्य सरकार 31 मार्च 2025 तक तीर्थयात्रियों के लिए इलेक्ट्रिक शटल बसें उपलब्ध कराए. इसके बाद ट्राम वे/एलिवेटेड रोड/मोटरेबल ट्विन टनल/रोप वे और स्काई वॉक जैसे अन्य विकल्पों पर एनटीसीए के परामर्श से एक साल के भीतर विचार किया जा सकता है.