Rajasthan News: राजस्थान में प्रतापगढ़ जिले के धमोत्तर पंचायत समिति में तेजाजी महाराज मंदिर के पास 16 मार्च रविवार को शाम 5 बजे बाद लट्ठमार होली खेली जाएगी. लट्ठमार होली का आयोजन लबाना बाहुल्य क्षेत्रों में सदियों से चलता आ रहा है. इस होली में महिलाओं द्वारा पुरूषों पर लट्ठ बरसाऐ जाएंगे. पुरूष सहजता के साथ लट्ठ की मार को सहन करते हुए बचाव करेंगे.
पुरुषों को लाठी मारती हैं महिलायें
इसको लेकर समाजसेवी दशरथ लबाना ने बताया कि लट्ठमार होली से पहले शाम ढ़लने से पुर्व विधी विधान पूर्वक पूजा, अर्चना के साथ पुरूष व महिलाओं द्वारा ललेनो नृत्य नगांरो के थपथपाहाट से शुरू किया जाएगा. उसके बाद में लट्ठमार होली खेली जाएगी.
नेजा लूटने के दौरान पुरूषों को घेर-घेर कर लाठियां बरसाई जाएगी. जबकी पुरूष अपनी लाठियों के दम पर महिलाओं से लाठियों से बचने का जतन करेंगे. यह होली लबाना बाहुल्य गांवों में लट्ठमार होली के मदे्नजर आस-पास के कई गांवों के समाजजन यहां भागीदारी करने पहुंचेगे.
महिलाओं को सम्मान देने का पर्व
गावं के बुर्जगों के अनुसार पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं के समानता का दर्जा बना रहे, इसके लिए बुर्जगों ने इस प्रकार के कार्यक्रम रखे थे. पुराने समय में पुरूष-प्रधान समाज में जहां महिलाओं की हर जगह उपेक्षा की जाती थी. इससे महिलाओं में पुरूष समाज के प्रति उत्पन्न कुंठा के भाव को दूर करने के लिए लट्ठमार होली का आयोजन किया.
जानिए परंपरा को मनाने की कहानी
भगवान शिवशंकर के वरदान के कारण यह आयोजन लबाना समाज में खेला जाता है. चौर द्वारा बेल ले जाना और नायक की मृत्यु कर देने पर जब पार्वती और शिवशंकर भगवान विचरण कर रहे थे. उस समय नायक की पत्नी रो रही थी. उस समय पार्वती और शिवशंकर भगवान को नायक की पत्नी रोने पर दया आने पर उन्होंने कहा कि इसको दण्डी मानकर भगाने को लेकर नायक की पत्नी को शिवशंकर ने वरदान दिया था और उसका पति को जीवित हो गया. वहीं अब लट्ठमार होली का आयोजन चोर को भगाने को लेकर किया जाता है. इस पर्व को स्थानिय भाषा में नेजा लुटना कहा जाता है.
यह भी पढ़ें- सिरोही: होली के अगले दिन आदिवासी समाज की अनोखी परंपरा, दहन के धधकते अंगारों पर नंगे पांव चलते हैं ग्रामीण