भरतपुर पूर्व राजपरिवार में विवाद फिर से सामने आया है. पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह और उनके बेटे अनिरुद्ध सिंह के बीच संपत्ति को लेकर जंग छिड़ गई है. अनिरुद्ध सिंह ने आरोप लगाया है कि उनके पिता ने बंध बारैठा की कोठी को अवैध रूप से बेच दिया, जो राजपरिवार की पैतृक संपत्ति है. विश्वेंद्र सिंह ने जवाब दिया है कि कोठी उनकी निजी संपत्ति थी, जिसे बेचने के लिए वह अधिकृत थे. पत्नी दिव्या सिंह ने उस पैसे से दिल्ली में महंगा फ्लैट खरीदा था .अनिरुद्ध सिंह न्यायालय में संपत्ति की बिक्री को चुनौती देंगे और स्थगन आदेश की मांग करेंगे.
अनिरुद्ध सिंंह सोशल मीडिया पर किया पोस्ट
पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, "कोठी बंध बारैठा भरतपुर राजपरिवार की पैतृक संपत्ति है. इसे अवैध रूप से बेचा गया है. जबकि, मेरी माता जी और मैंने इसकी अनुमति नहीं दी थी, और उस समय मैं विदेश में पढ़ाई कर रहा था. मैं इस संपत्ति तथा अन्य संपत्तियों की बिक्री को न्यायालय में चुनौती दूंगा और, उस पर स्थगन आदेश (स्टे) की मांग करूंगा."
उन्होंने आगे लिखा, "यह कोठी करीब 15 साल पहले कर्नल अलावत और मिस्टर सुधीर विंडलैस को बेच दी गई थी. अब बैंक की ओर से बकाया पेमेंट नहीं होने की वजह से कुर्की की कार्रवाई हो रही है. फिर कोठी को बैंक बेचेगी, जिसे भगत सिंह बिरहरू (लोहागढ़) खरीदने का प्रयास कर रहे हैं.
"कोठी बेचकर पत्नी ने लिया महंगा फ्लैट"
इस पोस्ट के बाद पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने अपने सोशल मीडिया पेज पर पोस्ट करते हुए लिखा, "हकीकत में कोठी बंध बारैठा मेरी निजी संपत्ति थी. राजपरिवार की संपत्ति नहीं थी. इसको बेचने के लिए मैं अधिकृत था, इसलिए मेरी पत्नी दिव्या सिंह ने मुझसे जबरदस्ती लिखवा कर मुझसे बिकवाया था. दिव्या सिंह ने उस पैसे से नई दिल्ली में एक महंगा फ्लैट अपने नाम से लिया, इसलिए यह कहना कि कोठी बंध बारैठा को अवैध रूप बेचा गया है ये गलत है."
जल्द ही हाईकोर्ट में करूंगा केस- विश्वेंद्र सिंह
उन्होंने लिखा, "आज मुझे अपने परिवार के खिलाफ बोलना पड़ रहा है. अप्रैल 2021 से मैंने मोती महल परिसर में प्रवेश ही नहीं किया है. इसी बात का फायदा उठाते हुए मेरी पत्नी और पुत्र ने मोती महल की बेशकीमती चीजें यहां तक कि किवाड़, खिड़की बेच दिए हैं, और हमारे पुरखों के जमाने से ऐतिहासिक झंडा, जो मोती महल में लगा हुआ था. उसको भी बदल दिया है. बहुत जल्द ही हाईकोर्ट में मेरा केस आ रहा है, और इसी बौखलाहट में ये लोग बुनियादी बयानबाजी कर रहे हैं. जिस दिन से मैंने मोती महल छोड़ा है. उस दिन से महल में स्थित मंदिरों की पूजा-अर्चना भी बंद करवा दी गई है."
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