पाला पड़ने से सड़ने लगती हैं रबी की फसल, किसान भाई हो जाएं सतर्क, जानें बचाव के आसान तरीके

जिले में रबी फसलों की बुआई का काम लगभग पूरा हो चुका है. एक-डेढ माह पूर्व बोई गई सरसों-चने की फसल खेतों में लहलहाने लगी है. वहीं गेहूं, जौ सहित अन्य फसलें भी बढ़वार की ओर है. दूसरी ओर जनवरी का पहला पखवाड़ा शुरू होने के साथ ही ठंड का असर तेज होने लगा है.

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पाला के बारें में जागरूक करते अधिकारी

Chittorgarh News: पिछले एक सप्ताह से पड़ रही कड़ाके की सर्दी से आम जनजीवन प्रभावित हो रहा हैं. कड़ाके की पड़ती इस सर्दी में अब किसानों को फसलों पर पाला पड़ने का डर सताने लगा हैं. दिन में गलन और रात में ठिठुरन से तापमान में गिरावट आ रही हैं.

फसलों पर रात 12 से सुबह 4 बजे तक पड़ता पाला

पाला रात में विशेषतया 12 से 4 बजे के बीच पड़ता है. पाला पड़ने का पूर्वानुमान होने पर खेत की उत्तरी दिशा में अर्धरात्रि में सूखी घास फूस, सूखी टहनियां, पुआल आदि को आग लगाकर धुंआ कर फसलों को पाले से बचाया जा सकता है. धुआं करने से खेत में गर्मी बनी रहती है और फसलों के पौधों के चारों और तापमान में गिरावट नहीं आती है.

पाला पड़ने का पूर्वानुमान होने पर खेत की उत्तरी दिशा में अर्धरात्रि में सूखी घास फूस, सूखी टहनियां आदि को आग लगाकर धुंआ कर फसलों को पाले से बचाया जा सकता है.

धुंआ करके बचाएं

आग इस प्रकार ढेरियां बना कर लगाएं कि खेत में फसल के ऊपर धुएं की एक पतली परत बन सकें. जितना अधिक खेत में धुआं फैलेगा, तापमान उतना अधिक बना रहेगा. अधिक धुआं उत्पन्न करने के लिए घास-फूस, सूखी टहनियां, पुआल आदि के साथ इंजन के जले हुए तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं.

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फसलों को पाला से बचाने के लिए  कृषि विभाग ने एडवाईजरी जारी की हैं. उपनिदेशक उद्यान, डॉ शंकर लाल जाट ने बताया कि जिले में फसलों, सब्जियों एवं बगीचों में पाला पड़ने की संभावना को देखते हुए किसान भाई विभाग की एडवाइजरी अनुसार फसलों को बचाने हेतु उपाय करें।

खेत में सिंचाई करने से बढ़ जाता तापमान

पाले का पूर्वानुमान होने पर खेत में हल्की सिंचाई से भूमि गर्म और नम बनी रहती है. सिंचाई करने से भूमि का तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है. किसानों के पास फव्वारा सिंचाई की सुविधा हो तो फव्वारा से सिंचाई करना लाभदायक रहता है. जिस दिन पाला गिरने की संभावना हो तो फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें.

प्लास्टिक स्प्रेयर का ही उपयोग करें

एक लीटर गंधक के तेजाब को एक हजार लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें. गंधक के तेजाब का असर दो सप्ताह तक रहता है. गंधक के तेजाब का छिड़काव करने के लिए केवल प्लास्टिक स्प्रेयर का ही उपयोग करना चाहिए. छिड़काव करते समय ध्यान रखें कि पूरे पौधे पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे. पाला गिरने की संभावना हो तो 15 दिनों के अन्तराल पर पुनः छिड़काव करना चाहिए.

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