'राई का बाग' रेलवे स्टेशन का नाम अब 'राईका बाग', बदलाव का श्रेय किसे?

राई का बाग रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए लोगों ने जमकर आवाज उठाई थी. इस मुद्दे को विपक्ष के लोगों ने भी जोर शोर से उठाया. अब इसका नाम बदलकर राईका बाग कर दिया गया.

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Raika bagh Railway Station: अब 'राई का बाग' नहीं 'राईका बाग' रेलवे स्टेशन पहुंचना होगा. रेलवे स्टेशन के नाम को लेकर राईका समाज आंदोलनरत था. इस रेलवे स्टेशन को लेकर राजस्थान के बड़े नेताओं ने लगातार मांग उठाई. कुछ दिन पहले कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी इस मामले को लेकर रेल मंत्री को चिट्ठी लिखी थी. वहीं हनुमान बेनीवाल ने भी इस रेलवे स्टेशन का नाम बदलने को लेकर अपनी आवाज उठाई थी. बहरहाल अब स्टेशन का नाम बदला जा चुका है. इस बात की जानकारी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए दी है. लेकिन इन सबके बीच अब यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इसका श्रेय राजस्थान के किस नेता को जाता है, या फिर जनता के आंदोलन ने सरकार को ऐसा करने पर मजबूर कर दिया?

शेखावत ने जताया रेल मंत्री आभार

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने पोस्ट के जरिए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का आभार जताते हुए कहा कि उन्होंने मेरे अनुरोध पर 'राई का बाग' रेलवे स्टेशन का नाम संशोधित कर मूल नाम 'राईका बाग' किए जाने को स्वीकृति प्रदान की है. रेलवे रिकॉर्ड में वर्तनी की गलती की वजह से इस जंक्शन का वास्तविक नाम बदल गया था, जिससे राईका समाज की भावनाएं आहत होती रही है. निश्चित ही इस संशोधन से केवल राईका समाज ही नहीं, बल्कि स्थानीय निवासियों की भी पहचान से जुड़ी प्रसन्नता का अनुभव होगा. शेखावत ने कहा कि मेरे मित्र अश्विनी वैष्णव को साधुवाद कि इस संदर्भ में मेरे पत्र को उन्होंने त्वरित रूप से प्राथमिकता दी.

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रानीवाड़ा विधायक रतन देवासी ने पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री शेखावत और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात कर राईका बाग नाम संशोधन की मांग रखी थी. उन्होंने फिर विधानसभा में सवाल भी पूछा था. समाज के लोगों ने भी शेखावत से आग्रह किया था.

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सचिन पायलट और बेनीवाल ने उठाई थी आवाज

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राईका बाग का इतिहास

जिस स्थान पर रेलवे स्टेशन है, उसका इतिहास राईका समाज के आसुराम राईका से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने अपनी जमीन को रानी का बाग बनाने के लिए दिया था. आसुराम ने इस जगह का नाम राईका बाग रखने की मांग की थी. तब से इसे राईका बाग ही कहा जाने लगा. रेलवे स्टेशन के नाम को लेकर समाज के लोग लंबे समय से आंदोलनरत थे.

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