Rajasthan: रणथंभौर में विदेशी पक्षी पेंटेड स्टॉर्क निगल गया मगरमच्छ के 6 नवजात बच्चे, बेबस देखता रहा मगरमच्छ 

रणथंभौर के वन्यजीव विशेषज्ञ धर्मेंद्र खांडल ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह पूरी तरह से इकोलॉजिकल बैलेंस का हिस्सा है. ऐसे मामलों में वन विभाग कोई हस्तक्षेप नहीं करता, जब तक कि किसी प्रजाति की संपूर्ण जनसंख्या संकट में न हो.

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Ranthambore National Park: प्रदेश के सबसे बड़े रणथंभौर टाईगर रिजर्व में कई मर्तबा वाइल्डलाइफ़ के शानदार दृश्य देखने को मिलते है ,जिन्हें देखकर टाईगर सफारी पर आने वाले सैलानी भी रोमांचित हो उठते है. आज कुछ ऐसा ही एक  अनोखा नजारा रणथंभौर टाइगर रिजर्व के हृदय में बसे पदम तालाब क्षेत्र में प्रकृति का एक हैरान कर देने वाला दृश्य देखने को मिला, जब एक प्रवासी पक्षी पेंटेड स्टॉर्क (Painted Stork) ने मगरमच्छ के छह नवजात शावकों को निगल लिया. इस पूरे दृश्य को एक वन्यजीव फोटोग्राफर ने अपने कैमरे में कैद किया. 

यह नज़ारा रणथंभौर टाइगर रिजर्व में स्थित पदम तालाब क्षेत्र में आज देखने को मिला, जिसने प्रकृति के क्रूर लेकिन संतुलित चेहरे को उजागर कर दिया. जहां एक प्रवासी पक्षी पेंटेड स्टॉर्क (Painted Stork) ने एक-एक कर मगरमच्छ के छह नवजात शावकों को निगल लिया और आश्चर्यजनक रूप से पास में मौजूद वयस्क मगरमच्छ इस पूरे घटनाक्रम को चुपचाप देखता रहा. इस पूरे दृश्य को एक वन्यजीव फोटोग्राफर ने अपने कैमरे में कैद किया, जिसकी तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.

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मगरमच्छ अपनी आंखों के के सामने देखता रहा नज़ारा 

फोटोग्राफर के मुताबिक उन्होंने सोचा कि वयस्क मगरमच्छ, जो करीब 10-15 फीट दूर पानी में था, अपने नवजात शावकों को बचाने के लिए स्टॉर्क पर हमला करेगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. मगरमच्छ अपनी आंखों के सामने हो रही इस प्राकृतिक त्रासदी को मूकदर्शक बना देखता रहा. यह दृश्य जितना आश्चर्यजनक था, उतना ही दर्दनाक भी, खासकर जब शावकों की छोटी-छोटी कातर आवाजें आस-पास गूंज रही थीं.

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मादा मगरमच्छ अपने घोंसले में 30 से 60 अंडे देती है

दरअसल, इन दिनों पदम तालाब क्षेत्र में मगरमच्छों के नेस्ट से अंडों का हैचिंग (अंडों से बच्चों का निकलना) हो रहा है. मादा मगरमच्छ अपने घोंसले में 30 से 60 अंडे देती है और गर्मी के मौसम में उनमें से कई बच्चे बाहर निकलते हैं. शुरुआती कुछ दिन उनके लिए सबसे ज्यादा जोखिम भरे होते हैं क्योंकि वे न तो खुद का बचाव कर सकते हैं, न ही बहुत तेज़ी से भाग सकते हैं. यही समय शिकारी पक्षियों के लिए शिकार का उपयुक्त मौका बन जाता है.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट ? 

पेंटेड स्टॉर्क के अलावा, ग्रे हेरॉन, कॉमन क्रेन और अन्य शिकारी पक्षी इन नवजातों को भोजन के रूप में देखते हैं. ये पक्षी झील के किनारे पेड़ों और दलदली क्षेत्रों में मंडराते रहते हैं और जैसे ही कोई नन्हा जीव पानी की ओर बढ़ता है, वे बिजली की गति से हमला कर उसे निगल जाते हैं.

रणथंभौर के वन्यजीव विशेषज्ञ धर्मेंद्र खांडल ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह पूरी तरह से इकोलॉजिकल बैलेंस (प्राकृतिक पारिस्थितिक संतुलन) का हिस्सा है. ऐसे मामलों में वन विभाग कोई हस्तक्षेप नहीं करता, जब तक कि किसी प्रजाति की संपूर्ण जनसंख्या संकट में न हो ,उन्होंने कहा मगरमच्छों की प्रजनन दर अधिक होती है और प्रकृति स्वयं तय करती है कि उनमें से कितने जीवित रहेंगे. यह चयन प्राकृतिक नियमों पर आधारित है. 

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