Level-1 अध्यापिका ने विभाग को लगाया चुना, नौकरी में रहते हुए कर लिया रेगुलर बी.एड कोर्स; जांच शुरू

राजस्थान के अलवर जिले में शिक्षा विभाग ने एक लेवल-1 अध्यापिका पर विभाग को गुमराह करने का आरोप लगाया है. जिसने नौकरी में रहते हुए बी.एड का कोर्स नियमित छात्र के रूप में पूरा किया है.

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अलवर जिले में लेवल-1 अध्यापिका पर विभाग को गुमराह करने का आरोप लगा है.

Rajasthan News: राजस्थान के अलवर जिले में शिक्षा विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया है. राउमावि तुलेड़ा स्कूल की अध्यापिका वसुंधरा चौधरी पर विभाग को धोखा देकर वेतन लेने के गंभीर आरोप लगे हैं. जिला शिक्षा अधिकारी ने इस मामले में अनुशासनिक जांच के आदेश जारी कर दिए हैं. यह खबर सरकारी नौकरी में ईमानदारी की मिसाल बन सकती है जहां छोटी-छोटी गलतियां भी बड़ी सजा का कारण बनती हैं.

बी.एड कोर्स में छिपाकर ली सैलरी

वसुंधरा चौधरी लेवल-1 अध्यापिका हैं और उनका कर्मचारी कोड RJAL200602014350 है. आरोप है कि उन्होंने अध्यापक की नौकरी करते हुए बी.एड का कोर्स नियमित छात्र के रूप में पूरा किया. लेकिन इसकी कोई जानकारी विभाग को नहीं दी.

कोर्स के दौरान वे स्कूल से गैरहाजिर रहीं फिर भी पूरा वेतन भत्ते और बोनस लेती रहीं. विभाग का कहना है कि इससे सरकारी नियमों का उल्लंघन हुआ और विभाग को गुमराह किया गया. यह सब राजस्थान असैनिक सेवाएं नियम 1958 के तहत जांच का विषय बना है.

तीन बड़े आरोप लगाए गए

विभाग ने वसुंधरा पर तीन मुख्य आरोप तय किए हैं. पहला अनियमित तरीके से वेतन भत्ते और बोनस लेना. दूसरा लोकसेवक के पद की गरिमा को ठेस पहुंचाना. तीसरा शिक्षा विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाना. अधिकारियों का मानना है कि ऐसी हरकतें सरकारी सेवा की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं. अगर ये आरोप साबित हुए तो सजा हो सकती है जो अन्य कर्मचारियों के लिए सबक बनेगी.

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15 दिन का समय जवाब देने को

जिला शिक्षा अधिकारी ने वसुंधरा चौधरी को नोटिस भेजा है. उन्हें 15 दिनों के अंदर अपना लिखित जवाब देना होगा. अगर वे अपने बचाव में कोई सरकारी दस्तावेज देखना चाहें तो अधिकारी कार्यालय में तय समय पर ऐसा कर सकती हैं. अगर समय पर जवाब नहीं आया तो एकतरफा कार्रवाई शुरू हो जाएगी.

साथ ही अगर वे व्यक्तिगत सुनवाई चाहती हैं तो लिखित जवाब में इसका जिक्र करना जरूरी है. विभाग ने साफ कहा है कि राजस्थान सिविल सेवा आचरण नियम 1971 के नियम 24 का पूरी तरह पालन करें. किसी भी तरह का राजनीतिक या बाहरी दबाव डालने की कोशिश न करें वरना अतिरिक्त कार्रवाई होगी.

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विभाग का संदेश: ईमानदारी जरूरी

मामले में अधिकारियों ने कहा कि सरकारी नौकरी में तथ्य छिपाना या धोखा देना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. नैतिकता और ईमानदारी सबसे ऊपर हैं. इस जांच से अन्य अध्यापकों को भी सतर्क रहने का संदेश मिलेगा. अलवर जिले में ऐसे मामले पहले भी सामने आए हैं. अगर वसुंधरा निर्दोष साबित हुईं तो उनका नाम साफ होगा लेकिन अगर आरोप सही निकले तो सजा तय है.

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