Rajasthan News: आखिरकार लंबे समय बाद वसुंधरा गुट के नेता देवी सिंह भाटी (Devi Singh Bhati) की बीजेपी में वापसी हो ही गई. भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी की मौजूदगी में उन्होंने पार्टी ज्वाइन की. वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के करीबी और पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने साल 2019 में लोकसभा चुनावों में बीकानेर से अर्जुनराम मेघवाल को टिकट मिलने से नाराज होकर देवी सिंह भाटी ने बीजेपी छोड़ दी थी. इसके बाद उन्होंने खुलकर अर्जुनराम मेघवाल के खिलाफ प्रचार भी किया था. लंबे समय बाद उनकी बीजेपी में घर वापसी हो गई है.
लगातार 7 बार रह चुके हैं MLA
भाटी को पहली बार राजनीति में माणक चंद सुराणा लेकर आए थे. देवी सिंह भाटी का नाम बीकानेर के दिग्गज नेता के रूप में लिया जाता है. देवी सिंह 1980 में कोलायत सीट से पहली बार MLA चुने गए. इसके बाद वह 2008 तक लगातार जीतते रहे, लेकिन 2013 में चुनाव हार गए. देवी सिंह भाटी तीन बार मंत्री रह चुके हैं. भैरों सिंह शेखावत की सरकार में मंत्री रहते हुए IAS BK Singh थप्पड़ मामले के तूल पकड़ लेने के बाद भाटी को मंत्री पद छोड़ना पड़ गया था.
वसुंधरा राजे से रही नजदीकी
देवी सिंह भाटी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के काफी करीबी माने जाते हैं. भाटी ने कुछ महीने पहले वसुंधरा के पक्ष में बयान देते हुए कहा था कि जब तक राजे को लीडरशिप नहीं दी जाती तब तक उनके कार्यकर्ताओं को भाजपा में सम्मान नहीं मिलेगा. भाटी की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है जब एक बार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बीकानेर दौरे पर थी इस दौरान देवी सिंह भाटी ने वसुंधरा राजे की यात्रा की सभी व्यवस्थाएं संभाली थी. भाटी के सहयोग से इन सभाओं में राजे अच्छी भीड़ जुटाने में कामयाब रही. इससे यह माना जाने लगा था भाटी का जनाधार काफी है.
अर्जुन मेघवाल से मतभेद में छोड़ी पार्टी
भाजपा बीकानेर की सियासत में देवी सिंह भाटी और अर्जुन मेघवाल के बीच मतभेद जगजाहिर है. पार्टी ने जब पहली बार अर्जुन मेघवाल को बीकानेर सांसद का टिकट दिया था. उस समय देवी सिंह भाटी ने अर्जुन मेघवाल को टिकट देने का विरोध करते हुए पार्टी छोड़ दी थी. 2018 में बीजेपी ने उनकी बहू पूनम कंवर को टिकट दिया. लेकिन वह भी कांग्रेस उम्मीदवार से चुनाव हार गईं. इस हार के बाद देवी सिंह भाटी ने अर्जुन राम मेघवाल पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उनकी बहू के खिलाफ चुनाव में प्रचार किया है.
सामाजिक न्याय मंच नाम से बनाई अलग पार्टी
भाटी ने जाटों को आरक्षण देने के विरोध में 2003 में अपनी अलग पार्टी 'सामाजिक न्याय मंच' का गठन करते हुए विधानसभा चुनाव लड़ा. इस चुनाव में भाटी खुद तो चुनाव जीत गए लेकिन उनके अन्य सभी प्रत्याशी हार गए. वसुंधरा राजे से भाटी के मतभेद भी रहे हैं, लेकिन बाद में वे वसुंधरा राजे के करीबी हो गए. भाटी के पुत्र महेंद्र सिंह भाटी 1996 में सांसद बने, 2003 में सड़क दुर्घटना में महेंद्र सिंह का निधन हो गया. बेटे की असमय मौत ने देवी सिंह भाटी को तोड़ दिया.
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