Explainer: राजस्थान में भाजपा सांसदों के लिए अग्निपरीक्षा जैसा क्यों है विधानसभा का टिकट?

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने उम्मीदवारों अपनी पहली सूची जारी कर दी है. इसमें कुल 41 उम्मीदवार शामिल हैं. भाजपा ने 7 सांसदों को टिकट दिया है. इन सांसदों के लिए विधानसभा का चुनाव अग्निपरीक्षा जैसा माना जा रहा है. आइए जानते हैं ऐसा क्यों कहा जा रहा है.

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राजस्थान विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारे गए भाजपा सांसद.

BJP MPs in Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. प्रदेश में 23 नवंबर को वोटिंग होगी, जबकि नतीजे तीन दिसंबर को आएंगे. चुनावी तारीखों के ऐलान के कुछ ही घंटों बाद भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की. भाजपा के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में 41 नाम शामिल हैं, जिनमें 7 सांसद भी शामिल हैं. मध्यप्रदेश के बाद भाजपा ने राजस्थान में भी अपने सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा है. लेकिन इस सांसदों के लिए विधानसभा का चुनाव अग्निपरीक्षा जैसा माना जा रहा है. इस अग्निपरीक्षा में ये पास होंगे या फेल यह तो 3 दिसंबर को रिजल्ट के दिन पता चलेगा. लेकिन सांसदों को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतार कर भाजपा ने साफ संदेश दे दिया है पार्टी प्रदेश में जीत के लिए हर कोशिश में जुटी है. दूसरी बात यह भी है कि विधानसभा के नतीजे इन सांसदों के राजनीतिक भविष्य को भी तय करेंगे.  

भाजपा से विधानसभा का टिकट पाने वाले सांसदों में राजसमंद की सांसद दीया कुमारी, जयपुर ग्रामीण  सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, झुंझुनूं सांसद नरेंद्र कुमार, अलवर सांसद बालकनाथ, राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीना, अजमेर सांसद भगीरथ चौधरी और जालोर-सिरोही सांसद देवजी पटेल शामिल हैं. चार सांसद ऐसे हैं जो पहले भी विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं. जबकि तीन सांसद ऐसे हैं जो पहली बार विधायक का चुनाव लड़ेंगे.

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सांसदों के लिए विधानसभा का चुनाव अग्निपरीक्षा क्यों?

सांसदी और विधानसभा का चुनाव दोनों अलग-अलग है. दोनों के कद में भी बड़ा अंतर है. सांसदी का चुनाव केंद्र की सरकार तो विधायकी का चुनाव राज्य सरकार के लिए लड़ा जाता है. भारत के राजनीतिक इतिहास को देखें तो विधायकों को प्रमोट कर लोकसभा का चुनाव लड़ाने के ज्यादा उदाहरण मिलते हैं. लेकिन अब भाजपा ने सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारकर एक तरह से उनका कद छोटा कर दिया है. अब यदि कोई सांसद विधानसभा का चुनाव हार गया तो उसके लिए यह बड़ी शर्मनाक स्थिति होगी.

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बंगाल में भाजपा ने ऐसा प्रयोग किया था. पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को विधानसभा में मिली हार के बाद साइडलाइन किया गया था. बाद में उन्होंने टीएमसी का दामन थाम लिया था.

सांसदों के कंधों पर हारी हुई सीट जिताने की जिम्मेदारी 

6 सांसदों के कंधों पर भाजपा की हारी हुई सीट जिताने की जिम्मेदारी है. पार्टी ने 5 सांसदों को उनके ही लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. केवल दीया कुमारी का क्षेत्र बदला गया है. उन्हें पार्टी ने जयपुर की विद्याधर नगर सीट से उम्मीदवार घोषित किया है.

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भैरोसिंह शेखावत के दामाद का टिकट कटा

41 सीटों में सिर्फ विद्याधर नगर की सीट भाजपा के पास थी. यह सीट भैरोसिंह शेखावत के परिवार के लिए गढ़ जैसा था. यहां से भैरोसिंह के दामाद नरपत सिंह राजवी जीतते आ रहे थे. लेकिन इस बार भाजपा ने उनका टिकट काट दिया है. विद्याधर नगर सीट के अलावा भाजपा सांसदों को जिन विधानसभा सीट का टिकट मिला है, वहां पिछली चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था.  

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इन सातों सीट की राजनीतिक हिस्ट्री को खंगाले तो पता चलता है कि इस सातों विधानसभा सीट से 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को लीड मिली थी. लेकिन लोकसभा चुनाव से मात्र एक साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को  छह विधानसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. केवल विद्याधर नगर सीट पर भाजपा को जीत मिली थी. आइए देखते हैं हर एक सीट का सियासी गणित-

झोटवाड़ा विधानसभा सीट, प्रत्याशी- राज्यवर्धन सिंह राठौड़ 

जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को भाजपा ने झोटवाड़ा से अपना उम्मीदवार बनाया है. झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से 2018 में कांग्रेस के लालचंद कटारिया ने भाजपा के राजपाल सिंह शेखावत को 10 हजार 231 मतों से चुनाव हराया था. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को झोटवाड़ा विधानसभा से 1 लाख 15 हजार 794 वोट की लीड मिली थी. 

तिजारा विधानसभा सीट, प्रत्याशी- बालकनाथ

अलवर सांसद बालकनाथ को बीजेपी ने तिजारा विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा इस सीट पर तीसरे नंबर पर रही थी. यहां बसपा के संदीप कुमार ने जीत दर्ज की थी। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को इस सीट पर 30 हजार 798 मतों की लीड मिली थी. 

किशनगढ़ विधानसभा सीट, प्रत्याशी- भागीरथ चौधरी

अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी को भाजपा ने किशनगढ़ सीट से उम्मीदवार बनाया है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सुरेश टाक ने भाजपा के विकास चौधरी को 17 हजार 427 मतों से हराया. लेकिन लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा को 69,109 वोट की लीड मिली थी. 

सांचौर विधानसभा सीट, प्रत्याशी- देवजी पटेल 

जालोर से सांसद देवजी पटेल को बीजेपी ने सांचौर से उम्मीदवार बनाया है. पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के सुखराम विश्नोई ने भाजपा के दाना राम चौधरी को 25 हजार मतों से हराया था। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को 17 हजार 787 वोट की लीड मिली थी. 

मंडावा विधानसभा सीट, प्रत्याशी- नरेंद्र कुमार

झुंझुनूं से सांसद नरेंद्र कुमार को पार्टी ने मंडावा से उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में नरेंद्र कुमार ने जीत दर्ज की थी लेकिन बाद में नरेंद्र कुमार के सांसद बनने से इस सीट पर उपचुनाव हुए और कांग्रेस जीत गयी. कांग्रेस की रीटा चौधरी ने भाजपा उम्मीदवार को 33 हजार से अधिक मतों से हराया.

ट्रेंड से साफ पता चलता है कि पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था, उन्हीं सीटों पर 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की थी. अब उन सांसदों के सामने 2019 का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है. अब देखना होगा कि भाजपा सांसदों के खिलाफ कांग्रेस अपने मौजूदा विधायक को रिटेन करती हैं या फिर कांग्रेस भी अपने प्रत्याशी बदलती है. 

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 का कार्यक्रम

राजस्थान में अधिसूचना और नामांकन की शुरूआत 30 अक्टूबर को होगी. उम्मीदवारों के नामांकन की अंतिम तारीख 6 नवंबर है. वहीं नामांकन पत्रों की जांच 7 नवंबर तक की जाएगी और उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तारीख 9 नवंबर है. इसके अलावा 23 नवंबर को मतदान होगा और 3 दिसंबर को रिजल्ट आएंगे.

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