बच्चों को धर्म ग्रंथ पढ़ाना जरूरी नहीं... राष्ट्रीयता से ओतप्रोत किताबें पढ़ने चाहिए- मदन दिलावर

मदन दिलावर ने गुरुवार को स्कूलों में रामायण की तर्ज पर मनुस्मृति पढ़ाए जाने पर कहा कि बहुत से धर्म ग्रंथ हैं. अब ऐसे में स्कूलों में सभी धर्म ग्रंथों को पढ़ाया जाना जरूरी नहीं है.

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मदन दिलावर

Rajasthan News: राजस्थान में इतिहास की पुस्तकों को लेकर काफी सियासी घमासान चल रहा है. पुस्तक में गांधी परिवार के जिक्र को लेकर सवाल खड़े किये गए थे, जिस पर मदन दिलावर ने साफ किया था कि गांधी परिवार के महिमंडन पढ़ाना जरूरी नहीं है. वहीं एक बार फिर राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने गुरुवार को स्कूलों में रामायण की तर्ज पर मनुस्मृति पढ़ाए जाने पर कहा कि बहुत से धर्म ग्रंथ हैं. अब ऐसे में स्कूलों में सभी धर्म ग्रंथों को पढ़ाया जाना जरूरी नहीं है. हिंदू धर्म में बहुत सारे धर्म ग्रंथ हैं. ऐसी स्थिति में अगर हम सभी धर्म ग्रंथों के बारे में पढ़ाना शुरू कर देंगे, तो निश्चित तौर पर स्थिति अव्यवस्थित हो जाएगी.

बच्चों को मुस्लिम आक्रांताओं के बारे में नहीं पढ़ाना चाहिए 

उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि जब मैं 1991 में पहली बार विधायक बना था, तो मैंने कहा था कि स्कूलों में बच्चों को मुस्लिम आक्रांताओं के बारे में नहीं पढ़ाना चाहिए. पुस्तकों में मुस्लिम आक्रांताओं को महिमामंडित करने की पेश करने की जरूरत नहीं है. लेकिन, कांग्रेस ने ऐसा तुष्टिकरण की राजनीति के तहत किया ताकि राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में कर सके. कांग्रेस का हमेशा से ही तुष्टिकरण की राजनीति के तहत वोट बटोरना मकसद रहा है.

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इसके अलावा, उन्होंने यहां की शिक्षा प्रणाली पर अपनी बात रखते हुए कहा कि यह हिंदुस्तान है, जहां पर हर धर्म और संप्रदाय के लोग रहते हैं. ऐसी स्थिति में हमें यहां पर राष्ट्रीयता से ओतप्रोत पुस्तकों को पढ़ाना चाहिए, ताकि लोगों में राष्ट्र धर्म की भावना पैदा हो.

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उन्होंने इस बात पर बल दिया कि मुस्लिम आक्रांताओं को पढ़ाकर अपने बच्चों को दिग्भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए. बोले, "हमें इस पर रोक लगानी चाहिए. कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने बच्चों में बचपन से ही राष्ट्रभक्ति की भावना विकसित कर पाएं, तभी वो आगे चलकर राष्ट्र निर्माण की दिशा में अपना अमूल्य योगदान दे पाएंगे."

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उन्होंने कहा कि स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली एनसीईआरटी की पुस्तकों को काफी गहन अध्ययन के बाद लिखा गया है, जिसके बाद ही उन्हें स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है. लेकिन, इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता है कि जिन मुस्लिम आक्रांताओं के बारे में हम अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं, वे सही मायने में बहुत ही क्रूर थे, जिन्होंने कई तरह के अमानवीय कृत्य किए थे.

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