Rajasthan By Election: देवली-उनियारा सीट पर BJP मारेगी बाजी या पायलट-मीणा की जोड़ी कांग्रेस को दिलाएगी जीत की हैट्रिक, समझें गणित

हरीश मीणा 2018 और 2023 में लगातार दो बार देवली उनियारा सीट से विधायक चुने गए. इसके बाद इस बार लोकसभा चुनाव में टोंक सवाईमाधोपुर सीट से सांसद बन गए. इस सीट पर एसटी-मीणा के लगभग 65 हजार मतदाता हैं.

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Rajasthan By Election: राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर 13 नवम्बर को होने वाले उपचुनाव से पहले हॉट सीट देवली-उनियारा सीट पर चुनाव प्रचार अपने चरम पर है. बीजेपी से मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के साथ ही उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा जनसभाएं कर चुके हैं. वहीं कांग्रेस भी बड़ी सभाओं की तैयारी में जुटी है. खुद सचिन पायलट 10 नवंबर को उनियारा में बड़ी सभा करने वाले हैं. उपचुनाव में बीजेपी ने राजेन्द्र गुर्जर को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं कस्तूर चंद मीणा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. बड़ी बात है कि केसी मीणा स्थानीय नेता तो हैं, लेकिन सियासत की पिच पर यह उनके का पहला चुनाव होगा. 

नरेश मीणा ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला

उधर उपचुनाव में देवली उनियारा सीट से टिकट नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस नेता नरेश मीणा निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं. उन्होंने युवाओं की टीम के साथ गांव-ढाणी तक पहुंचकर कांग्रेस की नींद उड़ा दी है. नरेश मीणा के मैदान में उतरने से कांग्रेस के सामने चुनाव जीतने की चुनौती तो है ही, साथ ही नरेश मीणा नामांकन के बाद इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है. ऐसे में सवाल है कि क्या सचिन पायलट और हरीश मीणा की जोड़ी कांग्रेस के लिए जीत की हैट्रिक दिलाएगी या नरेश मीणा की वजह से बीजेपी उपचुनाव की बाजी मारेगी. 

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65 हजार मीणा वोटर बनेंगे गेमचेंजर?

इसके लिए कुछ आंकड़ों को समझना जरूरी है. दरअसल, देवली-उनियारा सीट पर कुल 3 लाख 2 हजार 721 मतदाता हैं. इनमें एसटी-मीणा के लगभग 65 हजार मतदाता और गुर्जर वोट लगभग 54 हजार हैं. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर हरीश मीणा को 105001 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के उम्मीदवार को 85826 वोट मिले थे. हरीश मीणा 2018 और 2023 में लगातार दो बार देवली उनियारा सीट से विधायक चुने गए. इसके बाद इस बार लोकसभा चुनाव में टोंक सवाईमाधोपुर सीट से सांसद बन गए. 

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कांग्रेस के लिए जीत की राह आसान नहीं

अब जब हरीश मीणा के सांसद बनने के बाद इस सीट उपचुनाव हो रहे हैं तो बीजेपी ने राजेंद्र गुर्जर को मैदान में उतारकर कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती पेश की. राजेंद्र सिंह गुर्जर 2013 से 2018 तक इस सीट से विधायक रहे. इन दोनों के अलावा टिकट न मिलने पर कांग्रेस से बगावत करके नरेश मीणा भी चुनाव लड़ रहे हैं. नरेश मीणा के चुनाव लड़ने से कांग्रेस के लिए जीत की राह आसान नहीं होगी, क्योंकि इस सीट पर मीणा और गुर्जर वोटर उम्मीदवारों की जीत राह तय करेंगे. इसके अलावा राजकुमार रोत और हनुमान बेनीवाल के समर्थन के ऐलान से कांग्रेस को और चुनौती मिलने वाली है.

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