Rajasthan by-Election: टिकट नहीं मिलने से नाराज भाजपा नेता नरेंद्र मीणा ने तेवर दिखाए. वीडियो जारी करके कहा, "2013 से हर बार मेरा नम्बर वन पर नाम था. लेकिन, पार्टी ने टिकट नहीं दिया. इस बार कार्यकर्ताओं और समर्थकों में आक्रोश है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के टिकट के निण्रय से बहुत आहत हैं और वे खून के आंसू रो रहे हैं. उन्होंने कहा कि सलूम्बर बाईपास स्थित वाटिका में सर्व समाज की बैठक होगी. बैठक में सर्व सम्मति से अहम निर्णय लेंगे."
"मैंने अनुशासित कार्यकर्ता होने का परिचय दिया"
नरेंद्र मीणा ने कहा, "मैं पिछले 20 साल से बीजेपी के सक्रिय कार्यकर्ता की तरह जनता की सेवा कर रहा हूं. 2013, 2018 और 2023 के विधानसभा चुनाव में और 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में मेरा नाम उम्मीदवार के रूप में नंबर एक पर होने के बाद भी टिकट नहीं दिया. मैंने धैर्य रखा और पार्टी का अनुशासित कार्यकर्ता होने का परिचय दिया था.
संघ से जुड़े नरेंद्र मीणा लड़ चुके विधानसभा चुनाव
सलूंबर से बगावत करने वाले भाजपा नेता नरेंद्र मीणा संघ पृष्ठभूमि से आते हैं. 25 साल से संघ से जुड़े हुए हैं. नरेंद्र मीणा वर्ष 2008 विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रह चुके हैं. इनके सामने कांग्रेस के दिग्गज नेता रघुवीर सिंह मीणा प्रत्याशी थीं. नरेंद्र मीणा करीब 22 हजार वोट से हार गए थे. भाजपा में नरेंद्र मीणा की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो वह वर्तमान में जनजाति विशेष सामाजिक सम्पर्क अभियान के प्रदेश सहसंयोजक हैं.
इससे पहले 2016 से 2019 तक उदयपुर जिला भाजपा देहात के जिला महामंत्री पद पर रहे हैं. साथ ही 2015 से 2020 तक पंचायत समिति सराडा ने नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई है. इसके अलावा उदयपुर जिला भाजपा जनजाति मोर्चा के जिला महामंत्री, सलूंबर जिले की सराडा पंचायत समिति सदस्य, भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य सहित अंग कई पदों पर रहा चुके हैं.
बीजेपी ने सलूंबर सीट पर सहानुभूति कार्ड खेला
बीजेपी ने सलूम्बर सीट से सहानुभूति कार्ड के चलते दिवगंत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी को भी पार्टी ने चुनावी मैदान में उतारा है. इस सीट से उनके बेटे अविनाश के नाम पर भी गंभीरतापूर्वक विचार हुआ. लेकिन, फाइनली पार्टी ने पत्नी अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी को टिकट दिया है.
अमृत लाल मीणा के निधन के बाद सीट खाली
सलूंबर विधानसभा सीट से तीन बार के विधायक अमृतलाल मीणा के निधन के बाद सीट खाली हो गई. उन्हें भारतीय जनता पार्टी के दक्षिण राजस्थान के बड़े नेताओं में माना जाता था. अमृतलाल मीणा का सियासी सफर करीब 20 साल चला. उन्होंने अपना पहला चुनाव साल 2004 में लड़ा, जहां उन्होंने पंचायत समिति सराड़ा के सदस्य के तौर पर राजनीति की शुरुआत की थी. उसके बाद साल 2007-10 तक वो जिला परिषद उदयपुर के सदस्य भी रहे और साल 2010 में पंचायत समिति सराड़ा में प्रतिपक्ष नेता बने.
2013 में अमृत लाल मीणा पहली बार विधायक बने
साल 2013 में वो पहली बार सलूंबर से विधायक चुने गए. इसके बाद 2018 और 2023 में कांग्रेस के दिग्गज नेता रघुवीर सिंह मीणा को हराकर विधानसभा पहुंचे थे. अब बीजेपी उनकी पत्नी को टिकट दिया है. शांता देवी अभी सेमारी से सरपंच हैं. पहले यहां नगर पालिका बनाई तब वह नगर पालिका सेमारी की अध्यक्ष रहीं. लेकिन, वापस पंचायतीराज व्यवस्था लागू होने के बाद अब वह सरपंच हैं.
शांता बोली- कार्यकर्ताओं की भावना से मिला टिकट
शांता देवी ने कहा, "कार्यकर्ता और जनता के आशीर्वाद से टिकट मिला है. इसकी सूचना मेरे पीलादर के कार्यकर्ता नारायण सोनी ने मुझे सबसे पहले दी." बेटे अविनाश के टिकट कटने पर कहा कि हम सब एक ही हैं. कार्यकर्ताओं की भावना के अनुसार फैसला हुआ है.
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