मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार देर रात मुख्यमंत्री निवास पर कानून-व्यवस्था को लेकर समीक्षा बैठक बुलाई. इस दौरान उन्होंने बताया कि प्रदेश में पीडितों को त्वरित न्याय उपलब्ध कराने के लिए 50 फास्ट ट्रैक अदालतें खोलने के संबंध में केन्द्र को प्रस्ताव भेज दिए गए हैं. साथ ही, राज्य स्तर पर भी उच्च न्यायालय से विमर्श कर फास्ट ट्रैक अदालत खोलने के प्रयास किए जाएंगे.
रिपोर्ट के मुताबिक समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री गहलोत ने आपराधिक घटनाओं के बाद शव रखकर प्रदर्शन को अनुचित बताते हुए कहा कि इससे अनुसंधान कार्य में वैधानिक अड़चनें आती हैं. यह दिवंगत के प्रति भी असंवेदनशीलता है. समीक्षा बैठक में पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा, प्रमुख शासन सचिव गृह आनंद कुमार, डीजी लॉ-एंड-ऑर्डर राजीव कुमार शर्मा, एडीजी इन्टेलीजेंस एस. सेंगथिर सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.
ये भी पढ़ें-कुचामन दलित हत्या केस में छठे दिन प्रशासन और परिजनों में समझौता, धरना समाप्त
अपराध के खिलाफ एक्शन मोड में है मुख्यमंत्री
सीएम गहलोत ने कहा कि राजस्थान में महिलाओं और अभिभावकों के अंदर असुरक्षा की भावना उत्पन्न हुई है. प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को बेहतर बनाए रखने के साथ ही अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए आदतन अपराधियों, जघन्य अपराधों में लिप्त अपराधियों और ड्रग तस्करों आदि पर कड़ी कार्रवाई की जाए. उन्होंने साथ ही, कहा कि प्रत्येक थाना क्षेत्र में आदतन अपराधियों को चिन्हित कर उनके विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही अमल में लाने के निर्देश दिए.
नाइट पेट्रोलिंग में लगाए जाएंगे अतिरिक्त होमगार्ड व 112 वाहन
मुख्यमंत्री ने प्रभावी रात्रि गश्त की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा कि इस कार्य के लिए आवश्यकतानुसार अतिरिक्त होमगॉर्ड्स को नियोजित किया जाए. उन्होंने नए निर्मित जिलों सहित अन्य जिलों में पुलिस पेट्रोलिंग की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कानून व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त होमगॉर्ड्स नियोजित करने के आदेश दिए.वहीं, सीमावर्ती जिलों में आपराधिक तत्वों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई के साथ ही इन क्षेत्रों में अतिरिक्त जाब्ते के लिए होमगॉर्ड्स नियोजित करने, क्विक रिस्पांस टीमें गठित करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में अतिरिक्त 112 वाहन की तैनाती करने के भी निर्देश दिए.
मृतक के पार्थिव शरीर को लेकर प्रदर्शन करने की प्रवृत्ति को अनुचित
सीएम गहलोत ने कहा कि पार्थिव देह का समय पर पोस्टमॉर्टम नहीं होने की स्थिति में साक्ष्य व सुबूत कमजोर होने की संभावना रहती है. इससे अपराधियों को छुट भी मिल सकती है. इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने एक कानून पारित किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कई अवसरों पर पीड़ित पक्षों द्वारा शव रखकर प्रदर्शन करने के कारण FIR देरी होती है. इससे डिटेन किए गए अपराधियों को इसका लाभ मिलने की संभावनाएं रहती हैं. इन प्रदर्शनों से अनुसंधान व न्यायिक प्रक्रिया में अनेक अड़चनें पैदा करने वाली परिस्थितियां बनती रहती हैं और पीड़ित परिवार को भी न्याय मिलने में बाधा उत्पन्न होती है. उन्होंने असामाजिक तत्वों के उकसावे में आकर मृतक के पार्थिव शरीर को लेकर प्रदर्शन करने की प्रवृत्ति को अनुचित बताते हुए आमजन से इस संबंध में कानून का पालन करने को कहा है.