न्यायपालिका में ‘भ्रष्टाचार' वाले बयान पर राजस्थान सीएम अशोक गहलोत कानूनी पचड़े में फंसते नजर आ रहे हैं. इस मामले में गहलोत के खिलाफ जारी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है. शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उस जनहित याचिका पर कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें न्यायपालिका पर टिप्पणी का स्वत: संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया था.
तीन सप्ताह में सीएम को देना होगा जवाब
न्यायपालिका में ‘भ्रष्टाचार' की तरफ इशारा करने वाली गहलोत की टिप्पणी के बाद स्थानीय अधिवक्ता शिवचरण गुप्ता ने बृहस्पतिवार को यह जनहित याचिका दायर की थी. न्यायमूर्ति एम एम श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने शनिवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
आखिर क्या कहा था सीएम गहलोत ने
मालूम हो कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को जयपुर में संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया था कि न्यायपालिका में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त है। उन्होंने कहा था, “मैंने सुना है कि कई वकील तो फैसला लिखकर ले जाते हैं और वही फैसला सुनाया भी जाता है।”
विवाद बढ़ने पर बाद में गहलोत ने लिया था यू-टर्न
हालांकि, आलोचना के बाद मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया था कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के संबंध में उन्होंने एक दिन पहले जो कहा था, वह उनकी निजी राय नहीं थी और उन्होंने हमेशा न्यायपालिका का सम्मान किया है तथा उसमें विश्वास जताया है.
वकीलों ने पूरे प्रदेश में किया था विरोध
गहलोत की टिप्पणी के विरोध में शुक्रवार को जोधपुर में अधिवक्ताओं ने उच्च न्यायालय और निचली अदालतों में काम का बहिष्कार किया था. पूरे प्रदेश में वकीलों ने सीएम गहलोत के इस बयान पर विरोध किया था. विपक्षी दल भाजपा ने भी इस मामले में गहलोत पर निशाना साधा था.
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