राजस्थान में OPS बंद करने की साजिश! विरोध में उतरे हजारों कर्मचारी; आंदोलन की दी चेतावनी

राजस्थान सरकार ने हाल ही में ओपीएस स्कीम बंद करने की योजना बनाई थी. वहीं अब इस योजना के विरोध में हजारों कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं और उन्होंने आंदोलन की चेतावनी दी है.

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ओपीएस स्कीम बंद करने को लेकर कर्मचारी विरोध कर रहे हैं.

Rajasthan News: राजस्थान के विभिन्न सरकारी संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारी और अधिकारी पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) को बचाने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं. सरकार के एक हालिया आदेश से नाराज ये लोग मानते हैं कि यह ओपीएस खत्म करने की साजिश है.

मंगलवार को जयपुर के शहीद स्मारक पर हजारों की संख्या में इकट्ठा होकर उन्होंने धरना दिया. नारे लगाते हुए वे अपनी मांगों पर अड़े रहे. यह विरोध सिर्फ एक दिन का नहीं बल्कि एक बड़े आंदोलन का हिस्सा लग रहा है जो कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर उठा है.

धरने में उमड़ा जन सैलाब

ओपीएस बचाओ संयुक्त मंच के बैनर तले आयोजित इस धरने में राज्य के बोर्डों निगमों सार्वजनिक उपक्रमों स्वायत्त संस्थाओं और विश्वविद्यालयों से जुड़े सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारी-अधिकारी शामिल हुए. रोडवेज बिजली कंपनियां जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट पर्यटन विकास निगम वित निगम भंडार व्यवस्था निगम कृषि विपणन बोर्ड राजस्थान विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों से आए चार हजार से ज्यादा लोगों ने शहीद स्मारक को भर दिया. हाथों में तख्तियां थामे वे सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे. इससे पहले 11 नवंबर को पूरे प्रदेश में इन कर्मचारियों ने अपनी वर्दी पर काली पट्टी बांधकर विरोध जताया था. यह दिखाता है कि आंदोलन कितना संगठित और व्यापक है.

सरकार के आदेश पर क्यों भड़के कर्मचारी

कर्मचारियों का गुस्सा 9 अक्टूबर 2025 के उस सरकारी आदेश पर है जिसे वे ओपीएस खत्म करने की नीयत से जारी मानते हैं. संयुक्त मंच की मुख्य मांग है कि यह आदेश तुरंत वापस लिया जाए. सभी संस्थानों में ओपीएस को बरकरार रखा जाए और जहां यह लागू नहीं है वहां इसे शुरू किया जाए.

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कर्मचारियों का कहना है कि सेवानिवृत्ति के बाद सम्मानजनक जीवन जीने के लिए ओपीएस से बेहतर कोई विकल्प नहीं है. वे इसे अपनी मेहनत का हक मानते हैं और किसी पर निर्भर नहीं होना चाहते.

कांग्रेस की देन भाजपा की चुनौती

यह मुद्दा पुराना है. पूर्व कांग्रेस सरकार ने 20 अप्रैल 2023 को प्रगतिशील फैसला लेते हुए इन संस्थानों में ओपीएस लागू किया था. लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार के इस नए आदेश को कर्मचारी प्रतिगामी कदम बता रहे हैं. उनका आरोप है कि सरकार कर्मचारी हितों की अनदेखी कर रही है. यह विवाद अब राजनीतिक रंग ले चुका है और कर्मचारियों की एकजुटता इसे और मजबूत बना रही है.

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आंदोलन में वक्ता हुए शामिल

इस धरने की अध्यक्षता राजस्थान स्टेट रोडवेज एम्प्लाइज यूनियन (एटक) के प्रदेशाध्यक्ष एम एल यादव और प्रांतीय विद्युत मंडल मजदूर फेडरेशन (इंटक) के प्रदेशाध्यक्ष बजरंग लाल मीणा ने की. जेसीटीएसएल एम्प्लाइज यूनियन-एटक के महासचिव चंद्रप्रकाश धाकड़ समेत विभिन्न संस्थानों के 15 संगठनों के प्रतिनिधियों ने सभा को संबोधित किया. 

आगे की रणनीति में ज्ञापन और बैठक

आंदोलन यहीं नहीं थमेगा. 24 नवंबर को सभी संगठन एक साथ मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा उप मुख्यमंत्री (वित्त) दीया कुमारी और अन्य अधिकारियों को ज्ञापन सौंपेंगे. उसके बाद ओपीएस बचाओ संयुक्त मंच की बैठक में आगे की योजना बनाई जाएगी. कर्मचारी चेतावनी दे रहे हैं कि अगर मांगें नहीं मानी गईं तो विरोध और तेज होगा.

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