राजस्थान में मौसमी बीमारियों का बढ़ा खतरा, स्वायत्त शासन विभाग ने सभी निकायों को दिए सख्त निर्देश

DLB निदेशक कुमार पाल गौतम ने कहा कि राज्य में 'राजस्थान एपिडेमिक डिजीज एक्ट-1957' लागू है. ऐसे में आमजन को भी अपने घरों/खाली प्लॉटों में किसी भी प्रकार के मच्छरजनित स्रोतों को विकसित नहीं होने देना है.

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Rajasthan Health News: राजस्थान में मौसमी बीमारियों का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. इसको लेकर सरकार पूरी तरह अलर्ट मोड पर है.बदलते मौसम के कारण बढ़ रही इन मौसमी बीमारियों की रोकथाम को लेकर राज्य सरकार ने सभी अधिकारियों के निर्देश दिए हैं. इसके बाद DLB निदेशक कुमार पाल गौतम ने समस्त नगरीय निकायों को आदेश दिया हैं कि मौसमी बीमारियों को रोकने हेतु आवश्यक कदम उठाने.

'नालों-सार्वजनिक शौचालयों में छिड़कें कीटनाशक'

कुमार पाल गौतम ने कहा कि नगरीय निकाय क्षेत्रों में एकत्रित कचरे /मलबे को तुरंत हटाया जाए. भारत सरकार की गाईड लाईन के अनुरूप शहर की नालियों और अन्य स्थानों पर इकट्ठे पानी की निकासी सुनिश्चित की जाए. साथ ही इकट्ठे पानी और नालियों में कीटनाशक और मच्छरनाशक दवाओं के साथ काले तेल का छिडकाव करवाया जायें.

'मलेरिया-डेंगू एक नोटिफाइएबल डिजीज'

आगे कुमार पाल गौतम ने निर्देश देते हुए कहा कि राज्य में 'राजस्थान एपिडेमिक डिजीज एक्ट-1957' लागू है. जिसके तहत मलेरिया और डेंगू को नोटिफाइएबल डिजीज घोषित किया गया है. ऐसे में आमजन को भी अपने घरों/खाली प्लॉटों में किसी भी प्रकार के मच्छरजनित स्रोतों को विकसित नहीं होने देना है.  नियमों के अन्तर्गत यदि आमजन सहयोग प्रदान नहीं करते है, तो उन्हें नोटिस दिये जाए और नियमानुसार चालान /जुर्माने की कार्यवाही की जावें. साथ ही पशुओं के पीने के पानी की टंकी और अन्य पानी के स्रोतों को साप्ताहिक रूप से साफ किए जाएं. 

'वार्ड वार फोगिंग किया जाना तय किया जाए'

उन्होंने कहा कि नगरीय निकायों के पास उपलब्ध फोंगिग मशीनों से वार्ड वार कार्य योजना बनाकर फोगिंग किया जावें। जिन नगरीय निकायों के पास फोगिंग मशीन उपलब्ध नहीं है उनके द्वारा स्वंय के स्त्रोत से फोगिंग मशीन किराये पर लेकर अथवा नियमानुसार क्रय कर अविलम्ब फोंगिग की कार्यवाही सुनिश्चित की जावें.

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'प्रशासन के साथ आमजन की जागरुकता भी जरूरी'

पाल गौतम ने आगे कहा कि आई.ई.सी. की गतिविधियों के माध्यम से आमजन को जागरूक कर मौसमी बीमारियों की रोकथाम और इसके प्रभावों को कम किए जाने के प्रयास किए जाए. साथ ही नगर निगम के कर्मचारी, चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ बात-चित स्थापित करे. इसके बाद   मच्छररोधी गतिविधियां जैसे सोर्स रिडक्शन, एन्टीलार्वल, एन्टीएडल्ट आदि गतिविधियां चलाई जाए. इसके अलावा जिला कलक्टर स्तर पर समीक्षा करवाकर अति संवेदनशील क्षेत्रों के लिये विशेष कार्य योजना बनाई जाकर कार्य किये जाए.

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