मोबाइल ने छीनी 12 साल के मासूम की जिंदगी, पिता ने गेम खेलने से रोका तो फांसी के फंदे से झूला 

राजस्थान के धौलपुर जिले में एक 12 साल के बच्चे को गेम खेलने की लत थी, जब उसको गेम खेलने से रोका गया तो वह फांसी के फंदे से झूल गया. 

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धौलपुर जिले में एक 12 साल के बच्चे ने फांसी लगा ली.

Rajasthan News: राजस्थान के धौलपुर जिले के एक छोटे से गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया है. जहां कंचनपुर थाना क्षेत्र के कुर्रेंदा गांव में रहने वाले 12 साल के विष्णु कुमार ने मोबाइल पर गेम खेलने की जिद के चलते खुद को फंदे पर लटका लिया. यह हादसा गुरुवार को हुआ जब उसके पिता ने सख्ती दिखाई. परिवार का इकलौता बेटा था विष्णु और उसकी मौत ने घर में मातम की लहर दौड़ा दी.

एक साल पुरानी लत बनी मौत 

विष्णु को पिछले एक साल से फ्री फायर नामक मोबाइल गेम ने जकड़ लिया था. शुरू में तो खेल-खेल में समय कटता लेकिन धीरे-धीरे यह आदत इतनी गहरी हो गई कि वह दिन के तीन-चार घंटे मोबाइल से चिपका रहता. पिता राजवीर सिंह ने कई बार समझाने की कोशिश की. कहा कि पढ़ाई पर ध्यान दो लेकिन विष्णु मानने को तैयार ही नहीं हुआ.

राजवीर बताते हैं कि बेटा गेम की दुनिया में खोया रहता था. छोटी-छोटी बातों पर चिड़ जाता. गुरुवार को जब पिता ने मोबाइल छीन लिया तो विष्णु गुस्से से भरा कमरे में चला गया. मात्र दस मिनट बाद परिजनों ने दरवाजा तोड़कर देखा तो वह फंदे पर लटका था.

पुलिस ने शुरू की जांच सिलसिला

घटना की खबर मिलते ही कंचनपुर थाने की टीम मौके पर पहुंची. हेड कांस्टेबल कपिल शर्मा के नेतृत्व में पुलिस ने शव को कब्जे में लिया. जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया. प्रारंभिक पूछताछ में पिता के बयान पर मर्ग दर्ज की गई. अधिकारी कहते हैं कि यह गेम की लत और नाराजगी का मामला लगता है. पूरी घटना की गहन जांच चल रही है ताकि कोई और कोण सामने न आए. गांव वाले भी स्तब्ध हैं. कई लोग इकट्ठा होकर परिवार को सांत्वना दे रहे हैं.

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अभिभावक सतर्क रहें 

इस दर्दनाक हादसे पर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. के.के. गर्ग ने चेतावनी दी है. वे कहते हैं आजकल बच्चे मोबाइल को दोस्त बना लेते हैं लेकिन इसके पीछे माता-पिता की लापरवाही है. घंटों फोन थमा देना आसान लगता है लेकिन इससे दिमाग का विकास रुक जाता है. ऐसे हालात में बच्चे गलत कदम उठा सकते हैं. डॉ. गर्ग की सलाह है कि माता-पिता समय की निगरानी करें. खेल-कूद और पढ़ाई को प्राथमिकता दें. मोबाइल को सीमित रखें वरना यह खुशी का साधन जहर बन सकता है.

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