राजस्थान में धूमधाम से मनाया गया ढूंढ़ोत्सव का पर्व, रंगों में डूबा नजर आया पूरा इलाका

Rajasthan News: ढूंढोत्सव पर्व में 1 साल से कम उम्र वाले बच्चों को ढोल-नगाड़ों के साथ निकटतम होलिका दहन स्थल पर ले जाया जाता है. इस दौरान वहां बच्चों से परिक्रमा करवाई जाती है और होली की पूजा की जाती है.

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ढूंढ़ोत्सव पर्व का सेलिब्रेशन

Dhundhotsav 2025: राजस्थान में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. इसी क्रम में प्रतापगढ़ में शुक्रवार को ढूंढोत्सव का पर्व बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता रहा है. हर बार की तरह इस बार भी सुबह से ही 1 साल से कम उम्र के बच्चों को होली का दहन स्थल पर ढोल नगाड़ों के साथ ले जाया जा रहा है और उसकी परिक्रमा करवाई जा रही है, शाम को विभिन्न समाजों की गैर का आयोजन होगा. गौरतलब है कि प्रतापगढ़ में होली के दूसरे दिन धूलंडी का आयोजन नहीं होता है. होली के 13 दिन बाद यहां पर रंग तेरस के रूप में यह पर्व मनाया जाता है.

1 साल के बच्चों को ले जाते हैं होलिका दहन स्थल

होली के दिन यहां ढूंढोत्सव का आयोजन होता है, जिसमें 1 साल से कम उम्र वाले बच्चों को ढोल ढमाकों के साथ निकटतम होलिका दहन स्थल पर ले जाया जाता है. इस दौरान वहां बच्चों से परिक्रमा करवाई जाती है और होली की पूजा की जाती है. शुक्रवार को भी बड़ी संख्या में ऐसे बच्चों को लेकर परिवार और समाज के लोग होलिका दहन स्थल पर पहुंचे.

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'ऐसा करने से बुरी आत्माओं के साए से बचते हैं बच्चे'

इस दौरान महिलाएं ढोल-नगाड़ों की थाप पर नृत्य करते हुए भी नजर आईं. मान्यता है कि बच्चों को इस तरह परिक्रमा करवाने से उन पर बुरी आत्माओं का साया नहीं पड़ता है. साथ ही वह दीर्घायु और स्वस्थ रहते हैं, ढोल नगाड़ों के साथ आज पूरे शहर में जगह-जगह इस तरह के आयोजन हो रहे हैं. बाद में इन बच्चों को भगवान के दर्शन के लिए ले जाया जाता है. शाम को विभिन्न समाजों की गैर निकाली जाती है जो ऐसे परिवारों के घर जाकर ढूंढ के आयोजन करती है.

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