Rajasthan News: राजस्थान इस वक्त ड्रग माफियाओं का सबसे बड़ा और सबसे खतरनाक ठिकाना बन चुका है. सीमा पार पाकिस्तान से लगातार नशे की खेप हमारे गांवों और शहरों में घुसपैठ कर रही है. हाल के महीनों में हुई पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाइयां बताती हैं कि यह नेटवर्क कितना मजबूत और खतरनाक हो चुका है. पहले गंगानगर और हनुमानगढ़ जैसे जिले नशे के छोटे-मोटे मामलों के लिए जाने जाते थे, लेकिन अब ये ड्रग माफियाओं के लिए ‘सेफ जोन' बन चुके हैं.
आंकड़े देख हो जाएंगे हैरान
अगर हम सिर्फ पिछले कुछ महीनों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो तस्वीर साफ हो जाती है. राजस्थान की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) ने अकेले जनवरी 2025 में 1,210 मामले दर्ज कर 1,393 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. वहीं, मई 2024 तक चले एक विशेष अभियान में 476 गिरफ्तारियां हुईं और करीब 35 करोड़ रुपये से ज्यादा का नशा जब्त किया गया है.
नशा बाहर से नहीं आ रहा, यहीं बनाया जा रहा
केंद्रीय एजेंसियां, जैसे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) भी राजस्थान में लगातार बड़ी कार्रवाई कर रही हैं. प्रतापगढ़ और बाड़मेर में करीब 40 करोड़ रुपये की मेफैड्रोन (MD) बनाने वाली फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ हुआ, जिससे साफ हो गया कि नशा सिर्फ बाहर से ही नहीं आ रहा, बल्कि यहीं बनाया भी जा रहा है. बीकानेर की सीमा से 8.5 करोड़ रुपये की हेरोइन पकड़ी गई.
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मामले से जुड़े बड़े सवाल
Q1: राजस्थान में ड्रग्स कहां से आ रहा है?
A: ड्रग्स मुख्य रूप से पाकिस्तान से अंतर्राष्ट्रीय सीमा के जरिए राजस्थान में आ रहा है. इसके अलावा, राज्य में भी कुछ जगहों पर ड्रग्स बनाने की अवैध फैक्ट्रियां पकड़ी गई हैं.
Q2: राजस्थान में ड्रग तस्करी के मुख्य रास्ते (कॉरिडोर) कौन से हैं?
A: ड्रग्स की एंट्री बीकानेर, श्रीगंगानगर, बाड़मेर और जैसलमेर से होती है, जिसके बाद इसे जोधपुर, अजमेर, जयपुर और उदयपुर जैसे शहरों से होते हुए दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों तक पहुंचाया जाता है.
Q3: इस तस्करी में कौन लोग शामिल हैं?
A: इस तस्करी में एक संगठित गिरोह शामिल है, जिसमें सीमा पार से बड़े तस्कर और राजस्थान के स्थानीय बेरोजगार युवा दोनों शामिल हैं.
Q4: इस समस्या से निपटने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
A: राजस्थान की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) के अलावा, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) जैसी केंद्रीय एजेंसियां भी लगातार कार्रवाई कर रही हैं.
Q5: क्या राजस्थान में भी ड्रग्स बनाई जा रही है?
A: हां, हाल ही में प्रतापगढ़ और बाड़मेर में मेफैड्रोन (MD) बनाने वाली फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ हुआ है, जिससे पता चलता है कि यहां भी ड्रग्स बनाई जा रही है.
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जैसलमेर में पकड़ी गई 100 करोड़ की हेरोइन
सबसे चौंकाने वाली बात हाल ही में जैसलमेर से पकड़ी गई करीब 20 किलो हेरोइन की खेप है, जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा बताई गई. इसके अलावा, जालोर में 500 किलो से अधिक डोडाचूरा जब्त होना भी इस बात का सबूत है कि राजस्थान में नशे का कारोबार किस हद तक फैला हुआ है.
ड्रग्स का नया कॉरिडोर: पाकिस्तान से दिल्ली-मुंबई
राजस्थान में इस ड्रग नेटवर्क को समझना बहुत जरूरी है. यह सिर्फ छोटे-मोटे तस्करों का काम नहीं, बल्कि पाकिस्तान से लेकर दिल्ली और मुंबई तक फैला एक पूरा कॉरिडोर है.
1. एंट्री पॉइंट: ड्रग तस्करी का सबसे बड़ा प्रवेश द्वार पाकिस्तान और राजस्थान की अंतरराष्ट्रीय सीमा है. बीकानेर, श्रीगंगानगर, बाड़मेर और जैसलमेर के रास्ते सबसे ज्यादा तस्करी की कोशिशें होती हैं. तस्कर ड्रोन और ऊंटों का इस्तेमाल करते हैं. BSF ने कई बार ऐसे ड्रोन गिराए हैं, जिनसे हेरोइन और हथियार बरामद हुए हैं.
2. ट्रांजिट हब: सीमा पार से आई खेप सबसे पहले सीमा से सटे गांवों में छिपाई जाती है. वहां से यह माल छोटी-छोटी खेपों में बांटा जाता है और ट्रकों, कारों, यहां तक कि बसों में छिपाकर हाईवे पर लाया जाता है. बाड़मेर, जालोर, जैसलमेर और नागौर से होता हुआ यह माल जोधपुर, अजमेर, जयपुर और उदयपुर जैसे शहरों में पहुंचता है. ये शहर अब इस पूरे नेटवर्क के लिए ट्रांजिट हब बन चुके हैं.
3. डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क: जयपुर और उदयपुर जैसे बड़े शहरों में कॉलेज स्टूडेंट्स तक इस नशे की सप्लाई की खबरें सामने आई हैं. यहां से यह जहर युवाओं तक पहुंच रहा है. राजस्थान से निकली यह खेप दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र तक पहुंच रही है. मुंबई और दिल्ली तो इस पूरे रूट का सबसे बड़ा टारगेट हैं, क्योंकि वहां से इसे विदेशों तक एक्सपोर्ट किया जाता है.
बेरोजगार युवा बने 'मोहरे'
इस खतरनाक खेल में बड़े तस्कर तो पकड़े नहीं जाते, लेकिन छोटे स्तर पर काम करने वाले स्थानीय बेरोजगार युवा जरूर पकड़े जा रहे हैं. ये युवा पैसे के लालच में इस धंधे का हिस्सा बन रहे हैं और यही लोग नशे को स्कूलों, कॉलेजों और कस्बों तक पहुंचा रहे हैं. इस तरह, राजस्थान इस पूरे नशा रूट का 'कॉरिडोर' बन चुका है. सीमा से एंट्री, हाईवे से ट्रांजिट और बड़े शहरों से डिस्ट्रीब्यूशन—यही ड्रग माफिया का पूरा रास्ता है. अगर इस पर तुरंत लगाम नहीं लगाई गई, तो आने वाले समय में यह हमारे समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा बन जाएगा.
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