धरती पकड़ नाम से मशहूर हैं राजस्थान का यह प्रत्याशी, 9 बार चुनाव हारने के बाद फिर मैदान में

चुनाव के समय कई ऐसे नेताओं की कहानी सामने आती हैं जो अपने आप में हैरान करने वाली होती है. पढ़िए राजस्थान के धरती पकड़ नेता की कहानी, जो 9 बार चुनाव हारने के बाद इस बार भी चुनावी रण में उतरे हैं.

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राजस्थान के धरती पकड़ नेता के नाम से मशहूर पुखराज सोनल से बात करते NDTV के वरिष्ठ पत्रकार सुमित अवस्थी.
जोधपुर:

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में चुनाव है, तो कई ऐसे नेताओं की कहानी सामने आ रही है जो आम लोगों के लिए हैरान करने वाली है. इसी कड़ी में जोधपुर से एक ऐसे नेता की कहानी सामने आई है, जो 9 बार चुनाव हार चुके हैं, लेकिन फिर भी वो मैदान में हैं. इस नेता को धरती पकड़ के नाम से जाना जाता है. उनका कहना है लोकतंत्र में हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार है और उसी अधिकार के तहत साल 1993 से वो लगातार चुनावी मैदान में है.धरती पकड़ के नाम से मशहूर राजस्थान के इस नेता का नेता पुखराज सोनल हैं. पुखराज लगातार निर्दलीय चुनाव लड़ते आ रहे हैं. वैसे तो पुखराज सोनल पीपाड के रहने वाले हैं. लेकिन उन्होंने न केवल विधानसभा बल्कि लोकसभा तक के चुनाव में अपना दावा ठोक चुके हैं.

पुखराज सोनल अब तक करीब 9 बार चुनाव लड़ चुके हैं. लेकिन उन्हें हर बार हार का सामना करना पड़ा हैं. मगर तब भी उनकी हिम्मत नहीं टूटी और इस बार फिर वह नए जोश और जुनून के साथ दसवीं बार विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. वह जोधपुर ग्रामीण के पीपाड के रहने वाले पुखराज सोनल प्रॉपर्टी का कार्य करते हैं. 

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हर बार चुनाव लड़ने के प्रति लगन और जोश को देखते हुए स्थानीय लोग उन्हें धरती पकड़ नेता के नाम से भी पुकारते हैं.

जनता की सेवा करने की है मंशा 

पुखराज सोनल की दिनचर्या सुबह उठने के साथ अपनी विधानसभा क्षेत्र में जाकर आम ग्रामीणों से मुलाकात कर अपने पक्ष में मतदान की बात करते नजर आते हैं. वहीं लोगों की समस्याओं को लेकर भी लोगों को जागरूक करने का प्रयास करते रहते हैं. पुखराज सोनल ने बताया कि हमारे संविधान ने हमें लोकतंत्र दिया है. इसी कारण में हर बार चुनाव में अपना दावा पेश करता हूं, भले ही में हार जाऊं, लेकिन मेरी हिम्मत अभी तक टूटी नहीं है. उन्होंने कहा कि मेरे मन में इच्छा है कि चुनाव जीत कर जनता की सेवा करूं.

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1993 से जारी है उनकी पारी 

एनडीटीवी से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि उन्होंने सबसे पहला चुनाव 1993 में बिलाड़ा विधानसभा से लड़ा था. उस समय उनके सामने बीजेपी के मिश्रीलाल चौधरी और कांग्रेस के राजेंद्र चौधरी प्रत्याशी थे. उसके बाद वह बिलाड़ा विधानसभा के चुनाव में खड़े होते गए और अबकी बार फिर बिलाड़ा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. पुखराज ने एक चुनाव छोड़कर बाकी सभी चुनाव निर्दलीय लड़े हैं. उन्होंने 2013 में एनपीईपी पार्टी (डॉ किरोड़ीलाल मीणा) से चुनाव लड़ा जिसका चुनाव चिन्ह किताब था.

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मुख्यमंत्री के सामने भी लड़ चुके है चुनाव

पुखराज सोनल ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ भी सरदारपुरा विधानसभा सीट से 2008 में चुनाव लड़ा था. जिसमें वह 12 वें स्थान पर रहे थे.

पुखराज सोनल ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ भी सरदारपुरा विधानसभा सीट से 2008 में चुनाव लड़ा था. उस समय सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के राजेंद्र गहलोत और कांग्रेस से अशोक गहलोत आमने सामने थे. जिसमें अशोक गहलोत ने जीत दर्ज की थी. वहीं पुखराज सोनेल 12 नंबर पर रहे थे. इसके अलावा लूणी विधानसभा से भी वह चुनाव में एक बार खड़े हो चुके हैं.

लोकसभा चुनाव के लिये भी ठोकी थी ताल

साल 2004 में उन्होंने जोधपुर लोकसभा सीट से नामांकन भरा था. जिसमें जसवंत सिंह बिश्नोई और बद्रीराम जाखड़ जैसे दिग्गज नेताओं का भी सामना करना पड़ा था. पुखराज सोनल ने बताया कि उन्होंने पाली लोकसभा से भी चुनाव लड़ने की कोशिश की थी. लेकिन अन्य नेताओं की समझाइश करने पर उनको समर्थन दे दिया था.

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