Rajasthan Election Result 2023: चाचा से हार गईं ज्योति मिर्धा, चुनाव से पहले बदली थी पार्टी

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में नागौर विधानसभा से हरेंद्र मिर्धा कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में और ज्योति मिर्था भाजपा की ओर से चुनाव लड़ रहे थी. इस सीट पर सबकी निगाहें थी कि एक ही परिवार से चुनाव लड़ रहे दोनों नेताओं में जीत किसकी होती है.

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कांग्रेस विधायक हरेंद्र मिर्धा और दूसरे नम्बर पर रहीं ज्योति मिर्धा

Nagaur Vidhansabha Seat: राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में नागौर जिले में चुनाव काफी उतार चढ़ाव वाला रहा. जाट राजनीति का केंद्र रहे इस जिले में 6 जाट नेताओं को जीत मिली है, तो वहीं दिग्गज मिर्धा परिवार के चार सदस्य इस बार चुनावी मैदान में उतरे थे, जिनमें से तीन को जनता ने नकार दिया है.

विधानसभा चुनाव 2023 में मिर्धा परिवार के केवल एक सदस्य कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र मिर्धा को नागौर से जीत मिली है.उन्होंने भतीजी और भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा का हराया. वहीं, डेगाना के पूर्व विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी विजयपाल मिर्धा व खींवसर के कांग्रेस प्रत्याशी तेजपाल मिर्धा को हार का मुंह देखना पड़ा है. 

एक ही विधानसभा से चुनाव लड़े हरेंद्र और ज्योति मिर्धा

आपको बता दें, इस बार के चुनाव में नागौर विधानसभा से हरेंद्र मिर्धा कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे थे जबकि उनके सामने मिर्धा परिवार की ही ज्योति मिर्धा भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में थीं. हरेंद्र मिर्धा और ज्योति मिर्धा रिश्ते में चाचा-भतीजी है, लेकिन दोनों का यह पारिवारिक रिश्ता राजनीति की भेंट चढ़ गया. दोनों ही चाचा-भतीजी ने रिश्तों को दरकिनार कर चुनावी मैदान में एक दूसरे को पटखनी देने की कोशिश की.

कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र मिर्धा को 87 हजार 110 वोट मिले. जबकि उनसे पीछे रहीं ज्योति मिर्धा को 72 हजार 490 वोट मिले. इस सीट पर ज्योति मिर्धा 14 हजार 620 वोट से हार गई.

ऐसा माना जाता है कि हरेंद्र मिर्धा के प्रति लोगों में एक सहानुभूति थी. क्योंकि हरेंद्र मिर्धा वयोवृद्ध हो चुके हैं और लगातार चार चुनाव भी हार चुके थे. इस कारण उनके प्रति लोगों में सहानुभूति थी. वहीं, ज्योति मिर्धा ने चुनाव से ठीक पहले पाला बदल लिया था और भाजपा में शामिल हो गई थी. इसके बाद भाजपा ने उन्हें नागौर का प्रत्याशी बनाया था. 

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सांसद रही चुकी हैं ज्योति मिर्धा

इससे पहले, ज्योति मिर्धा 2009 से 2014 तक नागौर की सांसद रह चुकी हैं, लेकिन 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव हार गई थीं. लेकिन इस बार नागौर की जनता ने ज्योति मिर्धा को नकार दिया. इसके अलावा डेगाना के विधायक विजयपाल मिर्धा दूसरी बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे थे, जहां उन्हें भाजपा के अजय सिंह किलक ने हरा दिया.

इसी तरह मिर्धा परिवार के ही तेजपाल मिर्धा को कांग्रेस ने खींवसर से हनुमान बेनीवाल के सामने चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन कांग्रेस का यह प्रयोग भी कामयाब नहीं हो सका और तेजपाल मिर्धा को बुरी तरह शिकस्त का सामना करना पड़ा और तीसरे स्थान पर खिसक गए. यानी मिर्धा परिवार के चार सदस्यों में से केवल एक हरेंद्र मिर्धा को ही जीत मिली है, बाकी तीन सदस्यों को हार का मुंह देखना पड़ा.

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दिग्गज नाथूराम मिर्धा और रामनिवास मिर्धा का बड़ा राजनीतिक रसूख रहा है, लेकिन इन परिवारों में पहले भी कई बार अदावत देखी गई है. भले ही सभी लोग परिवार से जुड़े हों, लेकिन राजनीतिक रास्ते अलग-अलग है.

देश की राजनीति में मिर्धा परिवार का है प्रभावी दखल

दरअसल, नागौर जाट राजनीति का केंद्र रहा है. नागौर का मिर्धा परिवार प्रदेश और देश की राजनीति में प्रभावी दखल रखता है. इस परिवार के नाथूराम मिर्धा और रामनिवास मिर्धा केंद्र सरकारों में बड़े मंत्री रह चुके हैं. मिर्धा परिवार की राजनीतिक अहमियत इसी बात से लगाई जा सकती है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में मिर्धा परिवार से जुड़े चार सदस्य चुनाव लड़े.

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