Rajasthan News: राजस्थान इस बार बहुत भारी बारिश हुई है. जिसके कारण किसानों की फसलें खराब हो गई है. जिसके लिए सरकार किसानों को अपनी फसलों का बीमा दे रही है. जिसमें यह शर्त है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अब किसानों को फसल नुकसान की सूचना 72 घंटे के भीतर देना अनिवार्य है. ऐसा न करने पर बीमा का लाभ नहीं मिलेगा. यह नियम खेत में कटाई के बाद सुखाने के लिए रखी फसलों पर भी लागू होगा, जो प्राकृतिक आपदाओं से खराब होती हैं.
जानें किन फसलों पर मिलेगा मुआवजा
जयपुर जिला परिषद के संयुक्त निदेशक (कृषि विस्तार) कैलाश चंद मीणा ने बताया कि खरीफ 2025 में जिले की अधिसूचित फसलों में मूंग, मूंगफली, ज्वार, तिल, ग्वार और चावला शामिल हैं. इन फसलों को सूखा, बाढ़, जलभराव, कीट-रोग, ओलावृष्टि, चक्रवात, बिजली गिरने या प्राकृतिक आग से नुकसान होने पर बीमा मुआवजा मिलेगा. कटाई के बाद सुखाने के लिए रखी फसलों को चक्रवात, बेमौसम बारिश या ओलावृष्टि से नुकसान होने पर व्यक्तिगत स्तर पर नुकसान का आकलन होगा.
सूचना देने के आसान तरीके
किसान फसल खराबे की जानकारी ‘कृषि रक्षक पोर्टल', हेल्पलाइन नंबर 14447, पीएमएफबीवाई क्रॉप इंश्योरेंस ऐप या चैटबोट नंबर 7065514447 के जरिए दे सकते हैं. समय पर सूचना देना जरूरी है ताकि बीमा लाभ मिल सके.
तहसीलवार समन्वयक नियुक्त
एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया लिमिटेड को खरीफ 2025 के लिए बीमा कंपनी बनाया गया है. कंपनी ने हर तहसील में समन्वयक नियुक्त किए हैं, जो किसानों की मदद करेंगे. जिला समन्वयक मगनलाल मीणा (8006867172) हैं. तहसीलवार समन्वयकों में आंधी के लिए रामसिंह सैनी, आमेर के लिए पिंकी मीणा, बस्सी के लिए मुकेश कुमार शर्मा, चाकसू के लिए सरोज जाट, चौमूं के लिए भंवरलाल बुनकर और मोहनलाल यादव.
वहीं दूदू के लिए रवि गुर्जर, जयपुर के लिए बनवारीलाल यादव, जमवारामगढ़ के लिए मुकेश कुमार जाट, जोबनेर के लिए मूलचंद बाना, कालवाड़ के लिए किशन शर्मा, किशनगढ़ रेणवाल के लिए पवन कुमार कुमावत, कोटखावदा के लिए हितेश्वर सिंह नाथावत, माधोराजपुरा के लिए रमेश चौधरी, मौजमाबाद के लिए बेवकांता मंडल, फागी के लिए अजीत सिंह कौरव और रमन शर्मा, फुलेरा के लिए श्रवणलाल यादव, सांगानेर के लिए नरेंद्र कुमार शर्मा, शाहपुरा के लिए रामकरण जींगवाड़िया और तूंगा के लिए जसवंत मीणा शामिल हैं.
किसानों के लिए सलाह
किसानों से अपील है कि वे फसल नुकसान होने पर तुरंत सूचना दें और अपने तहसील के समन्वयक से संपर्क करें. यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान से राहत दिलाने में मददगार साबित होगी.
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