Rajasthan Geological Survey: राजस्थान का ऐसा जिला जहां संभावना जमीन के अंदर बहुमूल्य खनिज होने की संभावना जताई जा रही है. इसको लेकर एक बड़ा सर्वे हो रहा है. अगर यह बात सही साबित हुई तो यहां के लोग मालामाल हो जाएंगे. दरअसल सिरोही जिले के आबूरोड क्षेत्र में जमीन में बहुमूल्य धातु होने की सम्भावना बढ़ गई है. जिसको लेकर इस क्षेत्र में हैलीकाप्टर के जरिए भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जा रहा है.
यह सर्वेक्षण भारतीय खान मंत्रायल के अंतर्गत करवाया जा रहा है, जिसमे हैलीकॉप्टर से केंद्र सरकार के 2 अधिकारी सहित पायलट और इंजीनियर की कुल 10 सदस्य टीम है. यह डिटेल्स सर्वे है, एक प्रारम्भिक सर्वे गुजरात के महेसाना में भी चल रहा है. आबूरोड और सिरोही जिले में 21 नवम्बर से यह शुरू हुआ है, जो अगले एक सप्ताह तक चलेगा. सर्वे की एक रिपोर्ट जिला कलेक्टर को भी दी जाएगी.
हेलीकॉप्टर सर्वे से मिल सकेगा डेटा क्वालिटी का डेटा
विभाग ने बताया की भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने भारत सरकार के खान मंत्रालय के राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (NMET) द्वारा वित्तपोषित एक उन्नत हेलीबोर्न टाइम डोमेन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (TDEM) और चुंबकीय भू-भौतिकीय सर्वेक्षण शुरू किया है. यह ब्लॉक-1 पर किए गए राष्ट्रीय हवाई भूभौतिकीय मानचित्रण कार्यक्रम (NAGMP) का एक विस्तृत सर्वेक्षण है.
इस सर्वेक्षण में हेलीकॉप्टर में लगे उन्नत TDEM और चुंबकीय सेंसर का उपयोग करके 198 वर्ग किमी क्षेत्र में सर्वेक्षण करते हुए 1429 किमी फ्लाइट पंक्तियों पर हाई रिजोल्यूशन वाले डेटा को एकत्रित किया जाएगा. यह सर्वेक्षण 150 मीटर की उड़ान रेखा अंतराल और 1500 मीटर की टाई लाइन अंतराल पर किया जाता है, जिसमें सेंसर जमीन से 40 मीटर की ऊंचाई पर काम करते हैं.
इस विधि से धातुओं की होगी खोज
इस सर्वेक्षण के परिणाम भूवैज्ञानिक संरचनाओं और खनिज संभावित क्षेत्रों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे जो सतह पर दिखाई नहीं देते हैं. चुंबकीय डेटा के साथ संयुक्त टीडीईएम विधि तांबे, निकल और सोने जैसे मूल्यवान खनिज भंडारों से जुड़े प्रवाहकीय क्षेत्रों की पहचान करने में सहायक होगी. सर्वेक्षण उप-सतही भूविज्ञान और खनिजकरण को अधिक विस्तार से मानचित्रण करने में मदद करेगा, जिसे अक्सर पारंपरिक चुंबकीय तरीकों का उपयोग करके जांच करना मुश्किल होता है.
यह भारत की खनिज अन्वेषण क्षमताओं को बढ़ाने और इसके खनन क्षेत्र के सतत विकास में योगदान देने की एक व्यापक पहल का हिस्सा है. परियोजना के पूरा होने के बाद यह आंकड़े सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध कराए जाएंगे, जिसे सरकारी और निजी अन्वेषण एजेंसियां, राष्ट्रीय भूविज्ञान डेटा रिपॉजिटरी (NGDR) पोर्टल के माध्यम से प्राप्त कर सकती हैं. इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों का उपयोग अन्वेषण रणनीतियों को परिष्कृत करने और भविष्य की संसाधन विकास परियोजनाओं के प्रोत्साहन लिए किया जाएगा.
जमीन के नीचे छिपी है कौन सी धातु
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, राजस्थान के सिरोही ब्लॉक के साथ-साथ ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक राज्यों में भी इसी तरह के सर्वेक्षण करेगा, जिसमें दस अलग-अलग ब्लॉकों में कुल 3,354 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया जाएगा. विभाग ने बताया की सर्वे के पूरा होने के बाद यह रिपोर्ट कलकत्ता में खनिज विभाग के कार्यालय भेजी जायेगी जंहा करीब 1 साल से अधिक के समय में सर्वे पर जांच की जाएगी. और उसके बाद पता चल पाएगा की इस सर्वे में जमीन के नीचे कौनसा खनिज है.
2017-18 में हुआ था हवाई सर्वे
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