राजस्थान की 30 स्थानीय भाषाओं का सर्वे किया जा रहा है. सरकारी स्कूल के बच्चों को कौवे को कागला और मटकी को मटकों पढ़ाया जाएगा. बच्चे मातृभाषा के साथ स्थानीय भाषा भी जान सकेंगे, इसकी वजह से बच्चे स्थानीय भाषा से जुड़े रहेंगे. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा है कि जल्द ही ये सरकारी स्कूलों में लागू हो जाएगी. अलग-अलग क्षेत्रों की स्थानीय भाषा के अनुसार ही पाठ्यक्रम को डिजाइन किया जाएगा. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे कौवे को स्थानीय भाषा में कागला कहते हैं तो ऐसे ही भाषा को शामिल किया जाएगा, जिससे बच्चे आसानी से समझ सकें। इसके लिए 30 स्थानीय भाषाओं का सर्वे किया जा रहा है।
आम बोलचाल वाले शब्दों को करेंगे शामिल
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि नई शिक्षा नीति में बदलाव करते हुए प्राथमिक कक्षाओं में मातृभाषा पर जोर देने की नीति लागू की जा रही है. इसके तहत स्थानीय बोली और भाषा के आधार पर शब्दकोश तैयार करवा कर पाठ्यक्रम तैयार करवा रहे हैं. नए सत्र में यह लागू भी कर दी जाएगी, जो हम दैनिक बोलचाल में बोलते हैं, जिससे बच्चों को सिखाने में जल्द मदद मिलती है, इससे बच्चे जल्द बोलना सीखते हैं. इसलिए मातृभाषा के शब्दों को नए पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है।
कौन को कुण, क्या को कांई, कद को कदै, पढ़ाया जाएगा
उन्होंने कहा कि जैसे हाड़ौती में कहते हैं, कागलो आरो छ, बल्ली जा री छ तो इस तरह का एक शब्दकोष तैयार किया जाएगा। शब्दकोश में कौन को कुण, क्या को कांई, कद को कदै, पढ़ाया जाएगा। साथ ही, पशु-पक्षियों, प्रश्नवाचक शब्दावली, सप्ताह के नाम सहित कई शब्दों के स्थानीय भाषा में बोलचाल वाले शब्दों के चार्ट बनाए जा रहे हैं. स्थानीय शिक्षकों से भी भाषा को लेकर सुझाव लिए जा रहे हैं.
30 स्थानीय भाषाओं का होगा सर्वे
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत सर्वे में कक्षा एक के बच्चों तथा उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों से भाषा की जानकारी ली गई थी. इसमें बच्चों के नाम के साथ उनके घर की भाषा, शिक्षण की भाषा, स्कूल का माध्यम और भाषा को समझना और बोलने की विद्यार्थियों की क्षमता के स्तर आदि का सर्वे कर उसे स्कूल दर्पण पर अपलोड करवाया गया था. राजस्थान में अलग-अलग 30 भाषाओं का सर्वे करवाया जा रहा है।
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