आवारा कुत्तों को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने दिये कड़े आदेश, किसी पर भी दर्ज हो सकता है FIR

आवारा कुत्तों के आतंक को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए नगर निकायों को सख्त आदेश जारी किया है.

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आवारा कुत्तों को लेकर हाई कोर्ट का फैसला

Rajasthan Stray Dogs: राजस्थान के कई जिलों में आवारा कुत्तों का आतंक देखा जा रहा है. कई जगहों पर तो आवारा कुत्तों ने बच्चों को निशाना बनाया है. ऐसे में राजस्थान हाई कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर सख्त फैसला लेते हुए नगर निकायों को निर्देश जारी किया है. कोर्ट ने नगर निकायों को निर्देश दिया कि वे शहर की सड़कों से आवारा कुत्तों और अन्य जानवरों को हटायें और यह सुनिश्चित करें कि उन्हें न्यूनतम शारीरिक नुकसान पहुंचे.
अदालत ने आगे कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति नगर निकायों को सड़कों/कॉलोनियों/सार्वजनिक रास्तों से आवारा पशुओं को हटाने से रोकता है, तो नगर निगम के अधिकारी/कर्मचारी ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं, जिसमें लोक सेवकों को उनके कर्तव्यों का पालन करने से रोकने के लिए FIR दर्ज करना भी शामिल है.

गौरतलब है कि हाल ही सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को तुरंत उठाकर कुत्ता आश्रय स्थलों में पहुंचाएं.

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हाई कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान

जस्टिस कुलदीप माथुर और जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान याचिका पर यह आदेश पारित करते हुए कहा कि वह नगर निगमों से अपेक्षा करती है कि वे टेलीफोन/मोबाइल नंबर/ई-मेल आईडी अधिसूचित करें, जहां उस क्षेत्र के नागरिक/निवासी आवारा पशुओं के संबंध में अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें. अदालत ने कहा, " हम आम जनता से अपेक्षा करते हैं कि यदि वे अपनी भावनाओं या धार्मिक विश्वासों या जानवरों के प्रति प्रेम के कारण उन्हें खाना खिलाना या उनकी देखभाल करना चाहते हैं, तो उन्हें नगर पालिकाओं या निजी व्यक्ति/संगठन द्वारा बनाए गए कुत्ता आश्रयों और मवेशी तालाबों/गौशालाओं में ऐसी गतिविधियां करनी चाहिए.

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8 सितंबर को होगी अलगी सुनवाई

न्यायालय ने नगर निगम जोधपुर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, जोधपुर तथा जिला न्यायालय परिसर, जोधपुर के संबंध में तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया. जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग अपने उपचार/कार्य के लिए आते हैं, ताकि प्राथमिकता के आधार पर परिसर से आवारा पशुओं को हटाया जाना सुनिश्चित किया जा सके. न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और राज्य राजमार्ग प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वे सड़कों से आवारा पशुओं को हटाने के लिए राजमार्गों पर नियमित रूप से गश्त करें तथा राजमार्गों पर वाहनों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करें. मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी.

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