एडमिशन में फर्जीवाड़े पर राजस्थान के 3 डेंटल कॉलेजों पर लगा जुर्माना, हाईकोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

Rajasthan News: कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता अभी युवा हैं और अगर उनका दाखिला रद्द किया गया, तो उनके 5-6 साल की मेहनत और शिक्षा बेकार चली जाएगी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

Rajasthan Admission Scam: राजस्थान हाईकोर्ट ने 2018-19 और 2019-20 में अनियमित रूप से किए गए डेंटल कॉलेजों में दाखिलों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने व्यास डेंटल कॉलेज, एकलव्य डेंटल कॉलेज और महाराजा गंगा सिंह डेंटल कॉलेज को प्रति छात्र 7.5 लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया है. वहीं छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने उनके प्रवेश को 1 लाख रुपये के जुर्माने के साथ नियमित करने की अनुमति दी है.

अवैध लाभ कमाने के लिए कॉलेजों पर होगी कार्रवाई 

न्यायमूर्ति दिनेश मेहता ने कहा कि अनियमित प्रवेश देने वाले कॉलेजों को बख्शा नहीं जा सकता. उन्होंने स्पष्ट किया कि छात्रों को धोखा देकर प्रवेश देने और अवैध लाभ कमाने के लिए कॉलेजों को दंडित किया जाना जरूरी है. यह आदेश खास परिस्थितियों को देखते हुए पारित किया गया है, क्योंकि ये दाखिले पांच से छह साल पहले हुए थे. 

कोर्ट ने दी कॉलेजों को चेतावनी

कोर्ट ने कहा कि भविष्य में अगर कोई कॉलेज इस तरह का अनियमित प्रवेश देता है, तो डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (DCI) और राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (RUHS) को सख्त कदम उठाने चाहिए. केवल जुर्माना लगाना ही पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर कॉलेज की मान्यता भी रद्द की जानी चाहिए.

इस मामले में सामने आए 2 तरह के विवाद   

पहला विवाद: व्यास डेंटल कॉलेज के तीन छात्रों का था जिनके नाम DCI की वेबसाइट पर अपलोड नहीं किए गए थे. DCI ने कॉलेज को इन छात्रों को बर्खास्त करने को कहा, लेकिन कॉलेज ने छात्रों को इसकी जानकारी नहीं दी.  

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दूसरा विवाद: बाकी छात्रों से जुड़ा था जिन्होंने काउंसलिंग बोर्ड में पंजीकरण नहीं कराया था और फिर भी कॉलेजों ने उन्हें दाखिला दे दिया.

याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि हो सकता है कि नाबालिगता या नियमों की जानकारी के अभाव में उन्होंने यह गलती की हो. उनकी पात्रता पर कोई सवाल नहीं था और न ही उनके इरादे दुर्भावनापूर्ण थे.

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DCI और RUHS की दलील

संस्थाओं ने कोर्ट से अपील की कि कॉलेजों को कड़ी सजा दी जाए, क्योंकि उन्होंने बार-बार नियमों का उल्लंघन कर छात्रों को दाखिला दिया है. उन्होंने कहा कि छात्रों को राहत दी जा सकती है, लेकिन कॉलेजों को नहीं बख्शा जाना चाहिए.

31 जुलाई तक जमा करवाना होगा जुर्माना  

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता अभी युवा हैं और अगर उनका दाखिला रद्द किया गया, तो उनके 5-6 साल की मेहनत और शिक्षा बेकार चली जाएगी. इसलिए उनके दाखिलों को नियमित करते हुए उन्हें 1 लाख रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है. वहीं कॉलेजों को प्रत्येक छात्र पर 7.5 लाख रुपये का जुर्माना 31 जुलाई तक जमा कराने को कहा गया है.

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