राजस्थान हाई कोर्ट ने DM को फटकारा, कहा- 'लोग भीख मांगने कलेक्ट्रेट नहीं आएंगे', बताएं आप पर कार्रवाई क्यों न करें?

जिला प्रशासन द्वारा राजस्थान हाई कोर्ट में अनुपालना रिपोर्ट में दावा किया कि शहर में बरसात के कारण कोई भी परिवार प्रभावित नहीं हुआ है. निगम प्रभारी ने विभिन्न क्षेत्रों का सर्वेक्षण भी किया जिसमें कोई भी परिवार खाना, दूध और पीने के पानी के वितरण के लिए प्रभावित नहीं पाया गया.

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Rajasthan News: राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) ने जोधपुर में बरसात (Jodhpur Rain) की वजह से प्रभावित होने वाले परिवारों को राहत देने के लिए जारी किए आदेशों की पालना में पेश रिपोर्ट को देखते हुए असंतोष जताया. इसके बाद उन्होंने जिला कलेक्टर सहित निगम व जेडीए अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर दिया.

'कार्यवाही क्यों न करें, कलेक्टर बताएं'

हाईकोर्ट ने आदेश में कहा, 'जिला कलेक्टर शपथ पत्र पेश करे कि कोर्ट द्वारा जारी 14 अगस्त 2024 के आदेश का जानबूझकर और इरादतन उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना अधिनियम 1971 के तहत क्यों न कार्यवाही शुरू की जाए.' इसके साथ ही आयुक्त जेडीए जोधपुर, नगर निगम उत्तर के आयुक्त और नगर निगम दक्षिण जोधपुर के आयुक्त को भी अवमानना नोटिस जारी किया गया जो अपने कर्तव्य में पूरी तरह से विफल रहे हैं.

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हाई कोर्ट के इस आदेश का हुआ उल्लंघन

पिछले दिनों अगस्त महीने के शुरुआत में हुई मानसून की बारिश के बाद राजस्थान हाई कोर्ट में जल भराव की समस्या को लेकर 2015 से चल रही जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने जिला प्रशासन को मानसून की बारिश के कारण से परेशान हुए लोगों की समस्या का समाधान करने के लिए दिशा निर्देश दिए थे और शहर की जल निकासी व्यवस्था के लेआउट प्लान की जानकारी देने के निर्देश दिए थे. जुलाई 2015 से राजस्थान हाई कोर्ट जोधपुर में जल निकासी व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए निर्देश देता रहा है. लेकिन 2024 आने तक यह समस्या जस की तस बनी हुई है. अभी तक शहर में जल निकासी को लेकर कोई भी ठोस योजना धरातल पर नहीं उतरी है.

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'रिपोर्ट पर विश्वास नहीं किया जा सकता'

जिला प्रशासन द्वारा राजस्थान हाई कोर्ट में अनुपालना रिपोर्ट में दावा किया कि शहर में बरसात के कारण कोई भी परिवार प्रभावित नहीं हुआ है. निगम प्रभारी ने विभिन्न क्षेत्रों का सर्वेक्षण भी किया जिसमें कोई भी परिवार खाना, दूध और पीने के पानी के वितरण के लिए प्रभावित नहीं पाया गया. इस रिपोर्ट पर खंडपीठ ने आश्चर्य जताया कि प्रभावित परिवारों को ऐसे तथाकथित निर्देशों की जानकारी कैसे हो सकती थी? यह अनुपालना रिपोर्ट सिर्फ कागजी कार्यवाही प्रतीत होती है. उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता. 

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'मदद का मतलब भीख मांगना नहीं होता'

कोर्ट ने यहां तक कहा कि पूर्व में निर्देश देने का अर्थ यह नहीं था कि प्रभावित लोग कलेक्ट्रेट में भीख मांगने के लिए खड़े हो, यह जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है कि वह स्वयं प्रभावित क्षेत्रों में जाकर सहायता प्रदान करें. इसलिए संबंधित अधिकारियों को अपने कर्तव्यों के उल्लंघन का दोषी ठहराया जाना चाहिए. जोधपुर जैसे शहर में हजारों गरीब और मजदूर रहते हैं, जबकि पालना रिपोर्ट में अधिकारियों ने बताया की भारी बारीश से कोई भी परिवार प्रभावित नहीं हुआ है, जो की गंभीर निंदा योग्य है. लगभग 1 दशक हो चुका है और शहर अभी भी भारी बारिश के दौरान समस्याओं से जूझ रहा है.

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