राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार से हुई नाराज, कहा- प्रवासी दिवस पर शहर सज रहे... लेकिन जर्जर स्कूल पर ध्यान नहीं

राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा, राजस्थानी प्रवासी दिवस के नाम पर शहरों को सजाया-संवारा जा रहा है, लेकिन सरकार यह बताए कि असली मुद्दों जैसे कि स्कूलों की जर्जर इमारतों की मरम्मत और बच्चों की सुरक्षा पर कब ध्यान देगी.

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Rajasthan High Court: राजस्थान में हाल ही में जर्जर स्कूल गिरने का मामला सामने आया था, जिसमें कई बच्चों की मौत हुई थी. वहीं प्रदेश में सैकड़ों जर्जर स्कूल देखे गए हैं. ऐसे में राजस्थान हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार से जर्जर स्कूलों की स्थिति और मूलभूत ढांचे में सुधार पर ठोस योजना बनाने के निर्देश दिये थे. लेकिन राजस्थान सरकार शायद इसके प्रति गंभीर नहीं दिख रही है. यही वजह है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति और मूलभूत ढांचे में सुधार की ठोस योजना पेश न करने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है. 

जस्टिस महेंद्र गोयल और जस्टिस अशोक जैन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार दो दिन में समुचित कार्य योजना पेश करें, अन्यथा शिक्षा सचिव को अदालत में उपस्थित होना पड़ेगा.

प्रवासी दिवस पर शहर सज रहे है स्कूल पर ध्यान नहीं

अदालत ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि इन दिनों “राजस्थानी प्रवासी दिवस” के नाम पर शहरों को सजाया-संवारा जा रहा है, लेकिन सरकार यह बताए कि असली मुद्दों जैसे कि स्कूलों की जर्जर इमारतों की मरम्मत और बच्चों की सुरक्षा पर कब ध्यान देगी. अदालत ने कहा कि झालावाड़ स्कूल हादसे की गंभीरता को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश ने विशेष पीठ गठित की थी, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी सरकार ने इस पर पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं.

सरकार ने कहा फंड जुटाने की प्रक्रिया जारी है

सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि स्कूलों के इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार के लिए केंद्र और अन्य संसाधनों से फंड जुटाने की प्रक्रिया जारी है. इस पर अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जब सरकार अन्य आयोजनों और कार्यक्रमों के लिए धन की व्यवस्था कर सकती है, तो स्कूलों के लिए पैसों की कमी का बहाना स्वीकार नहीं किया जाएगा.

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2047 से विजन की बात करते हैं और स्कूल सुधार पर कल का भी ठोस प्लान नहीं

हाईकोर्ट ने याद दिलाया कि पिछली सुनवाई में सरकार का रोडमैप अधूरा पाकर लौटा दिया गया था. न्यायालय ने कहा था कि सरकार 2047 के विजन की बात करती है, जबकि उसके पास स्कूल सुधार का कल का भी ठोस प्लान नहीं है. अदालत ने यह भी कहा कि बजट घोषणाएं सिर्फ नए स्कूल और कॉलेज खोलने तक सीमित न रहें, बल्कि जहां वास्तविक आवश्यकता हो, वहां कार्रवाई की जाए.

सरकार से अदालत ने यह भी पूछा कि कितने स्कूल भवन पूरी तरह जर्जर हैं, कितनों की मरम्मत आवश्यक है और नए भवनों के लिए कितना बजट तय किया गया है. कोर्ट ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के अनुसार करीब 86,000 कमरे खराब हालत में हैं, लेकिन सरकार ने उनकी मरम्मत की योजना स्पष्ट नहीं की.

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