Rajasthan: 1 साल बाद भी शुरू नहीं हुई भीलवाड़ा मर्डर केस की जांच, राजस्थान हाई कोर्ट ने ADG SOG को किया तलब

कोर्ट में एडिशनल एसपी के जवाब पर कोर्ट ने असंतोष जाहिर करते हुए कहा, 'आदेश के बाद भी लगता है कि जांच एजेंसी इसे गंभीरता से नहीं ले रही है.' इसके बाद कोर्ट ने एडीजी एसओजी को 14 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से तलब किया.

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फाइल फोटो.
NDTV Reporter

Rajasthan News: राजस्थान हाई कोर्ट के जस्टिस फरजंद अली की सिंगल बेंच ने हत्या के एक मामले की सुनवाई करते हुए स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) के अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) को तलब किया है, और उन्हें अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में मौजूद रहने के आदेश दिए हैं. दरअसल, मर्डर केस की जांच SOG को सौंपने के एक साल बाद भी कार्रवाई शुरू नहीं हुई, जिस पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई, और इसे गंभीरता से लेते हुए एसओजी के एडीजी को तलब कर लिया.

14 फरवरी को होगी अगली सुनवाई

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मयंक तापड़िया की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखते हुए कहा था कि एसओजी को जांच सौंपने के बावजूद अभी तक जांच शुरू नहीं की गई है. जब कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एसओजी की ओर से मौजूद एडिशनल एसपी मिलन कुमार से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हमें रिकॉर्ड प्राप्त हो गया है, जल्द ही केस की जांच शुरू करेंगे. ASP का ये जवाब सुनकर कोर्ट ने असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि आदेश के बाद भी लगता है कि जांच एजेंसी इसे गंभीरता से नहीं ले रही है. कोर्ट ने एडीजी एसओजी को 14 फरवरी को तलब किया है. वहीं तीन नाबालिगों एवं दो बालिगों के खिलाफ चल रही कार्यवाही को रोकने का आदेश दिया है.

NIA से जांच करानी की थी याचिका

गौरतलब है कि भीलवाडा में सरेराह युवक की चाकू से हत्या करने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खडे़ करते हुए निष्पक्ष जांच के लिए मामला एसओजी को ट्रांसफर करने के निर्देश दिए गए थे. अदालत में मृतक आदर्श तापड़िया के भाई मयंक तापड़िया ने पुलिस जांच पर संदेह जाहिर करते हुए निष्पक्ष जांच एनआईए से करवाने को लेकर याचिका पेश की थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने याचिका में पुलिस जांच पर संदेह जाहिर करते हुए दो आरोपी के खिलाफ कोई कार्यवाही ना करते हुए चार्जशीट से भी नाम नहीं होने पर निष्पक्ष जांच के लिए पैरवी की.

161 के बयानों में विरोधाभास

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने जांच निष्पक्ष तौर से नहीं की और 161 के बयान भी निष्पक्ष नहीं हैं. इस पर कोर्ट ने तीन गवाहों के 164 के बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष करवाकर रिपोर्ट मांगी थी. तीनों गवाहों के बयान हाईकोर्ट के समक्ष पेश हुए, जिससे जाहिर हुआ कि पुलिस के 161 के बयान व न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष 164 के बयानो में विरोधाभास है. इससे कोर्ट को भी लगा कि पुलिस ने मामले में निष्पक्ष जांच नहीं की. इस पर कोर्ट ने मामले को एसओजी को ट्रांसफर करने के निर्देश देते हुए अधीनस्थ अदालत को निर्देश दिए है कि चार्जशीट एसओजी को सुपुर्द की जाए. वहीं एसओजी के महानिदेशक को निर्देश दिए कि वे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी से इसकी जांच कराएं. हालांकि एक साल बाद भी इस मामले में जांच नहीं होने पर अब एडीजी एसओजी को तलब किया गया है.

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