Rajasthan: थाने में लट्ठ लेकर पहुंचे सैकड़ों लोग, थानेदार को लठ दिखाने का VIDEO हुआ वायरल

होली के त्योहार के बीच राजस्थान से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई, जहां सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण लठ्ठ् लेकर थाने पहुंच गए.

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थाने में लाठी लेकर पहुंचे लोग

Rajasthan News: आमजन की सुरक्षा और कानून व्यवस्था में तत्पर रहने वाला पुलिस महकमा शनिवार को होली का त्योहार मना रहा था. रंग-बिरंगे अबीर-गुलाल और डीजे पर पुलिसकर्मियों थिरकने के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब देखे जा रहे थे. इसी बीच हाथों में लठ्ठ लिए सैकड़ों लोगों के थाने पर पहुंचने और थानेदार को लठ्ठ दिखाने का वीडियो भी जमकर वायरल हो रहा है. यह वीडियो जाहजपुर थाने का बताया जा रहा है. यह पौराणिक काल के बसे हुए यज्ञापुर यानी कि जाहजपुर की अपनी ही एक अनूठी ढूंढ मनाने परंपरा है.

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बता दें कि खटीक समाज की ओर से यह ढूंढ परंपरा निभाई जाती है, जिसमें बच्चा होने पर उसे घर पर समाज के लोग लठ्ठ लेकर पंच पटेल के साथ जाते है. सब घरों में जाने उत्सव मनाने के बाद थाने पर भी पहुंचकर लठ्ठ बजाते हैं.

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खटीक समाज ने मनाया डूंड उत्सव

आज खटीक समाज जहाजपुर ने वर्षों से चली आ रही डूंड उत्सव की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, इस वर्ष हुए 12 बच्चे नोनिहालों को घर-घर जाकर डुंडा. इस दौरान हाथी-घोड़ा-ऊंट घदेड़ा झाड़ जू लोकोक्तियां गाकर घर की देहरी पर बच्चों को डुंडा जाता है. इस दौरान पुलिस थाना जहाजपुर में SHO राजकुमार नायक को भी डुंडा. खटीक समाज के युवाओं ने थाना प्रभारी के सामने फटकारी लाठियां. 

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होली पर चली आ रही यह परंपरा

'ढूंढ पूजा' होली से पहले वाली फागुन की ग्यारस को की जाने वाली एक परंपरा है. इस दिन नवजात शिशुओं का ढूंढ पूजन किया जाता है. ढूंढ पूजा की रस्म में बच्चे को नए कपड़े पहनाए जाते हैं और माथे पर तिलक लगाया जाता है.

क्या है ढूंढ पूजा की रस्म

ढूंढ पूजा की रस्म में बच्चे को खिल्ली (ज्वार, मक्का की फूली), गुड़, पतासे, मूंगफली, सिंघाड़े आदि रखकर पूजा जाता है. ढूंढ पूजा के बाद इन चीज़ों को मोहल्ले में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. ढूंढ पूजा के लिए बच्चे की मां नए कपड़े पहनकर पीला ओढ़ती है. तिलक लगाकर सामाजिक परंपरा के अनुसार पूजन करती है.

आमतौर पर बच्चे के ननिहाल से ढूंढ पूजन की सामग्री भेजी जाती है. मान्यता है कि जब तक बच्चे का ढूंढ पूजन नहीं होता तब तक उनको सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनाए जाते और माथे पर सीधा तिलक नहीं लगाया जाता है.

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