Rajasthan: भरतपुर के इस गांव में कोई नहीं ब्याहता अपनी बेटी, आज़ादी के बाद से पीने के पानी को तरस रहे लोग 

Water Crisis In Rajasthan: गांव के सुरेश कुमार बताते हैं कि यहां पेयजल का कोई स्थायी स्रोत नहीं है. जो पानी उपलब्ध है, वह पीने योग्य नहीं है, इसलिए ग्रामीण पैसे देकर टैंकर मंगवाने को मजबूर हैं. लेकिन गरीब लोग खारा पानी पीने को विवश हैं, जिससे वे बीमार पड़ रहे हैं.

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भरतपुर में पानी के पीने के संकट से जूझ रहे लोग

Bharatpur News: भरतपुर जिले के सेवर पंचायत समिति के तुहिया गांव में आजादी के बाद से अब तक मीठे पानी की सुविधा नहीं पहुंची है. गांव के लोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं और पैसे देकर पानी खरीदने को मजबूर हैं. यहां जल जीवन मिशन के तहत पानी की टंकी तो बनाई गई है, लेकिन उसमें पानी नहीं आ रहा है. गांव में उपलब्ध पानी खारा है, जिससे न केवल ग्रामीण बीमार हो रहे हैं, बल्कि पशुओं के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. गर्मी बढ़ते ही स्थिति और भी गंभीर हो जाती है.

कोई भी अपनी बेटी गांव में नहीं ब्याहना चाहता

इस पानी की समस्या का असर गांव के युवाओं की शादी पर भी पड़ रहा है. गांव के रहने वाले नरेंद्र सिंह बताते हैं कि 50 से ज़्यादा युवाओं की शादी सिर्फ इस वजह नहीं हो पाई है, क्योंकि कोई भी अपनी बेटी को ऐसे गांव में नहीं ब्याहना चाहता जहां पीने का पानी तक न हो. शादी के रिश्ते आते हैं, लेकिन जब परिवारों को पानी की समस्या के बारे में पता चलता है, तो वे रिश्ता करने से मना कर देते हैं.

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नल में पानी आता है, तब महिलाओं की लंबी कतारें लग जाती हैं

महिलाओं को भी पानी के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. गांव की रहने वाली तुलसा देवी बताती हैं कि 15 दिन में एक बार एक नल में पानी आता है, तब महिलाओं की लंबी कतारें लग जाती हैं और पानी भरने के दौरान झगड़े तक हो जाते हैं.

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जो पानी उपलब्ध है, वह पीने योग्य नहीं है

गांव के सुरेश कुमार बताते हैं कि यहां पेयजल का कोई स्थायी स्रोत नहीं है. जो पानी उपलब्ध है, वह पीने योग्य नहीं है, इसलिए ग्रामीण पैसे देकर टैंकर मंगवाने को मजबूर हैं. लेकिन गरीब लोग खारा पानी पीने को विवश हैं, जिससे वे बीमार पड़ रहे हैं. स्थानीय निवासी नरेंद्र सिंह के अनुसार, जल जीवन मिशन के तहत टंकी तो बनी, लेकिन पानी की आपूर्ति अब तक शुरू नहीं हुई. हालात यह हैं कि लोग 500 रुपए का टैंकर मंगवाकर प्यास बुझा रहे हैं.

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हालात यह हैं कि लोग 500 रुपए का टैंकर मंगवाकर प्यास बुझा रहे हैं

ग्रामीणों ने कई बार मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक और जिला प्रशासन को लिखित शिकायतें दीं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है. प्रशासन की अनदेखी से गांव में नाराजगी बढ़ रही है. लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार जल्द से जल्द इस गंभीर समस्या का हल निकालेगी, ताकि गांव में साफ और मीठे पानी की सुविधा उपलब्ध हो सके और ग्रामीणों को राहत मिल सके.

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