राजस्थान टोल वसूली में सबसे आगे, 70 किलोमीटर पर तीन टोल प्लाजा, जानें क्या है नियम

Rajasthan Toll Fraud: राजस्थान में टोल को लेकर जो नीति अपनाई गई है वह वाहन मालिकों की जेब पर भार बढ़ाने वाली है. जबकि नेशनल हाईवे के मामले में महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है. वहीं राजस्थान तीसरे नंबर पर है.

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Rajasthan Toll Rules: राजस्थान में टोल चुकाने के मामले में नेशनल हाइवे ओर स्टेट हाइवे पर वाहन चालक खुद को ठगा और लूटा महसूस करते है. ऐसा इसलिए हो रहा है कि टोल की लूट यहां किसी से छिपी नहीं है. बात करते है टोंक की जहां और नेशनल हाइवे 52 और नेशनल हाइवे 552 के साथ स्टेट हाइवे भी गुजरते है. महज 70 से 80 किलोमीटर की दूरी में ही एक वाहन को तीन-तीन जगह टोल चुकाकर सफर करना पड़ता है.

अगर कोई व्यक्ति उनियारा से चलकर टोडारायसिंह जाता है, तो NH 552 पर ढीकोलिया टोल के साथ NH 52 सोनवा टोल टोंक ओर स्टेट हाइवे टोल छान तक महज 70 किलोमीटर में 3 अलग-अलग जगह टोल कटवाना पड़ता है.

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60 किलोमीटर पर एक टोक का नियम

टोंक जिला मुख्यालय से होकर दो नेशनल हाइवे गुजरते है, वहीं जिले से 2 स्टेट हाइवे भी गुजरते है. लेकिन विडम्बना यह है कि प्रदेश में सबसे ज्यादा 142 टोल प्लाजा बिना किसी नियम और वाहन चालकों की सहूलियत के बनाए गए है. जहां वाहन चालकों से होती है टोल की लूट महज 70 किलोमीटर की दूरी तय करने में ही लोगों को 3 अलग-अलग जगह टोल चुकाकर सफर करना पड़ता है. जिसमे 2 टोल होते हैं नेशनल हाइवे के और एक टोल स्टेट हाइवे का चुकाना होता है.

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जानें टोल के नाम पर कैसे कटती है जेब 

केस संख्या 1: कोई व्यक्ति अगर टोंक में उनियारा उपखण्ड के ढीकोलिया से टोंक होकर टोडारायसिंह रोड पर गणेती तक जाता है तो महज 70 किलोमीटर के सफर में उसे सबसे पहले नेशनल हाइवे 552 पर ढीकोलिया टोल पर पर्ची कटवानी पड़ती है. लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर नेशनल हाइवे 52 सोनवा टोल पर फिर पर्ची कटवानी पड़ती है. उसके बाद उसे लगभग 25 किलोमीटर की अगली दूरी पर ही स्टेट हाइवे पर छान के पास एक ओर टोल की पर्ची कटवानी पड़ती है. इस तरह महज 65 से 70 किलोमीटर की दूरी में ही वाहन मालिक को 3 जगह टोल चुकाना पड़ता है.

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केस संख्या 2: इसी तरह अगर कोई व्यक्ति डारड़ा तुर्की से चलकर खरेडा जाता है तो उसे सबसे पहले स्टेट हाइवे पर हाडी कला पर टोल चुकाना पड़ता है. 35 लगभग किलोमीटर की दूरी पर NH 52 पर सोनवा टोल पर फिर टोल कटवाना पड़ता है. उसके बाद लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर छान स्टेट हाइवे पर एक बार फिर से टोल कटवाना पड़ता है. महज 65 से 70 किलोमीटर के सफर में 3 जगह टोल कटवाने के बाद ही सफर पूरा होता है.

टोल वसूली में टॉप पर राजस्थान

राजस्थान में टोल को लेकर जो नीति अपनाई गई है वह वाहन मालिकों की जेब पर भार बढ़ाने वाली है. जबकि नेशनल हाईवे के मामले में महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है. वहीं राजस्थान तीसरे नंबर पर है. लेकिन जब बात टोल वसूली की होती है तो राजस्थान का नंबर सबसे ऊपर आता है. जहां पर राजस्थान में सबसे ज्यादा 142 टोल प्लाजा मौजूद हैं और वाहन चालकों को भारी भरकम टोल चुकाना पड़ रहा है.

ये है असली नियम

भारत में टोल का ओपन सिस्टम है, जो आमतौर पर 60 किलोमीटर होती है . टैंक्स के नियम मुख्य रूप से  वाहनों के आकार, भार और सड़क को होने वाले नुकसान साथ ही वाहन के उपयोग के प्रकार (वाणिज्यिक/कार्मिक) पर आधारित होता है. टैक्स नियम 2008 के अनुसार 2 टोल प्लाजा के बीच की दूरी 60 किमी होनी चाहिए. 60 किलोमीटर की दूरी के बीच टोल प्लाजा बनाए जाते हैं.

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