Rajasthan: कोर्ट से जमानत दिलवाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, फर्जी दस्तावेज से दिलवाते थे बेल

गिरोह में शामिल लोग मृतकों के नाम से जीवित व्यक्ति बनकर पेश होते थे और आधार कार्ड, हैसियत प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों में हेराफेरी कर अदालतों को गुमराह करते थे.

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Rajasthan News: राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित कोर्ट में फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए आरोपियों को ज़मानत दिलवाने वाले एक संगठित गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. इस गिरोह में शामिल लोग मृतकों के नाम से जीवित व्यक्ति बनकर पेश होते थे और आधार कार्ड, हैसियत प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों में हेराफेरी कर अदालतों को गुमराह करते थे. पुलिस ने इस गिरोह का भंडाफोड़ कर इसमें शामिल आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

पुलिस ने अब तक नंद सिंह सिसोदिया उर्फ मोती सिंह, रामगोपाल सैनी, और भरत सिंह को गिरफ़्तार कर लिया है. पूछताछ में इस गिरोह के काम करने के तरीके और इसमें शामिल अन्य लोगों की भी जानकारी सामने आई है.

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गिरोह का ऐसे हुआ खुलासा

जमानत प्रकरण में फर्जी जमानत देने वाला व्यक्ति मोती सिंह के नाम से अदालत में पेश हुआ था, लेकिन जांच में सामने आया कि उसका असली नाम नन्द सिंह सिसोदिया है. जो मुरलीपुरा, जयपुर का रहने वाला है. उसके पास से न सिर्फ फर्जी आधार कार्ड, बल्कि जमानती बनने के लिए इस्तेमाल किए गए हैसियत प्रमाण पत्र, खसरा की नक़लें और स्वयं के नाम पर जारी मोटरसाइकिल के दस्तावेज़ बरामद हुए. पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह मनावर नामक व्यक्ति के कहने पर यह काम करता था और इसके बदले में उसे 1000-1500 रुपये मिलते थे.

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नन्द सिंह ने खुलासा किया कि वह खुद पढ़ा-लिखा नहीं है और सिर्फ हस्ताक्षर करना जानता है. उसने मनावर के कहने पर पिछले चार साल में कई बार फर्जी जमानतें दीं, जिनमें कई बार खुद की आईडी और कई बार दूसरों के नाम से बनी फर्जी आईडी का इस्तेमाल किया गया. उसने कोर्ट परिसर में मुनशी का काम करने वाले भरत सिंह और राजेन्द्र कुमार का नाम भी लिया, जो फर्जी दस्तावेज़ तैयार करवाने में सहयोग करते थे.

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फोटोकॉपी की दुकान पर मिला फर्जी शख्स

एक अन्य मामले में वकील जयप्रकाश सैनी ने पुलिस को बताया कि उनकी फोटोकॉपी की दुकान पर एक व्यक्ति, जिसके पास दो अलग-अलग आधार कार्ड थे. एक फर्जी हैसियत प्रमाण पत्र दिखा रहा था, जो वकील के पुश्तैनी पते पर बना हुआ था. जब नाम पूछा गया, तो उसने खुद को रामगोपाल सैनी बताया, जबकि उसके आधार कार्ड पर फोटो वही थी, पर नाम और पता अलग-अलग थे.

रामगोपाल ने पूछताछ में स्वीकार किया कि उसे भी भरत सिंह नामक व्यक्ति ने पैसे का लालच देकर फर्जी जमानत देने के लिए कोर्ट बुलाया था. भरत सिंह ही लोगों से जमानत के बदले पैसे लेता था और फर्जी जमानती तैयार करवाता था. दस्तावेज़ बनाने का काम राजेन्द्र कुमार करता था.

नेटवर्क के जरिए हो रहा था काम

गिरफ्तारी के बाद भरत सिंह ने बताया कि वह कोर्ट में अजय सिंह नामक अधिवक्ता के पास मुनशी का काम करता था. वहां उसकी मुलाकात कई ऐसे आरोपियों से होती थी जिन्हें जमानती नहीं मिल पाते थे. ऐसे मौकों पर वह पैसे लेकर फर्जी जमानती उपलब्ध करवा देता था. दस्तावेज तैयार करवाने और फर्जी व्यक्तियों को लाने के एवज में उसने एक संगठित नेटवर्क बना लिया था.

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