Great Indian Bustard News: राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण (Great Indian Bustard) को बचाने और उसकी संख्या बढ़ाने के प्रयास में जैसलमेर के पास ग्रेट इंडियन बस्टर्ड प्रजनन केंद्र ने इतिहास रच दिया है. यहां पहली बार आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (Artificial Insemination) के जरिए ग्रेट इंडियन बस्टर्ड चूजे का जन्म हुआ है.
आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन क्या है
इस प्रक्रिया में एक नर ( Male) गोडावण को एक डमी मादा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के साथ बिना मेटिंग के ट्रेन किया जाता है. फिर उसके स्पर्म को एकत्र किया जाता है और प्रजनन के लिए एक स्वस्थ मादा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड में इंजेक्ट करके कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है. अगर वह गर्भवती होने में सफल हो जाती है, तो वह एक ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को जन्म दे सकती है.
24 सितंबर कों गोडावण का चूजा हुआ पैदा
जैसलमेर के ग्रेट इंडियन बस्टर्ड प्रजनन केंद्र में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई. 24 सितंबर को मादा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड ने अंडा दिया. अब इस अंडे से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का चूजा निकल आया है और वह पूरी तरह स्वस्थ है.
राज्य सरकार ने भारत सरकार के साथ मिलकर कार्यक्रम चलाया था
बता दें कि 2018 में भारतीय वन्यजीव संस्थान ने भारत सरकार, राजस्थान सरकार और वन विभाग के सहयोग से राज्य में विलुप्त हो रहे राज्य पक्षी 'द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' को बचाने और इसकी संख्या बढ़ाने के लिए बस्टर्ड रिकवरी प्रोग्राम चलाया था. इसके तहत ग्रेट इंडियन बस्टर्ड कृत्रिम प्रजनन केंद्र की स्थापना की गई थी, जिसका उद्देश्य ग्रेट इंडियन बस्टर्ड परिवार को बढ़ाना था.
टॉनी मादा गोडावण से पैदा हुआ चूजा
डेजर्ट नेशनल पार्क के डीएफओ आशीष व्यास ने बताया कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों ने इंटरनेशनल फंड होउबारा बस्टर्ड अबू धाबी से प्रशिक्षण प्राप्त किया. जिसके बाद जैसलमेर के रामदेवरा के प्रजनन केंद्र में पाले गए सुदा नामक नर ग्रेट इंडियन बस्टर्ड से शुक्राणु एकत्रित किए गए. जिसके बाद 24 सितंबर को वैज्ञानिकों ने कृत्रिम गर्भाधान के जरिए सैम के प्रजनन केंद्र में पाली गई मादा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड टोनी में सुदा के शुक्राणु का इंजेक्शन देकर कृत्रिम गर्भधारण करवाया.जिसके बाद मादा ने अंडा दिया. यह पहला प्रयास सफल रहा और अब अंडे से चूजा निकल आया है, जो स्वस्थ है.
पहले हैचिंग के जरिए बढ़ाया जाता था गोड़ावण का कुनबा
डेजर्ट नेशनल पार्क के डीएफओ आशीष व्यास बताते हैं कि पहले ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के अंडों को खेतों से इकट्ठा करके कृत्रिम अंडे सेने की प्रक्रिया अपनाई गई ताकि वे नष्ट हो जाएं और अंडे सेने के बाद चूजे पैदा हो सकें. इसके बाद कैप्टिव ब्रीडिंग के जरिए आबादी बढ़ाने की कोशिश की गई है.
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