Rajasthan News: राजस्थान में जालोर जिले के मिंडावास गांव की निकिता कंवर की एक प्रेरणादायक और दुखभरी कहानी सामने आई है. जहां एक बेटी अपने पिता के सपनों के लिए मेहनत कर रही है. निकिता ने 12वीं कक्षा (आर्ट्स) में 92.60% अंक हासिल कर न केवल अपनी मेहनत का परचम लहराया, बल्कि अपने दिवंगत पिता के सपनों को जीवंत रखा. लेकिन इस खुशी में एक दर्द छिपा है. निकिता के पिता जबरदान कंवर का 11 मई 2025 को हार्ट अटैक से निधन हो गया, जिसके कारण उनकी यह उपलब्धि दुख में बदल गई.
पिता का वादा और निकिता की मेहनत
निकिता के पिता चाहते थे कि वह आईएएस बनें और दिल्ली या जयपुर में पढ़ाई करें. मृत्यु से 10 दिन पहले उन्होंने निकिता से कहा था कि अगर वह 90% से ज्यादा अंक लाएगी, तो वह उसे बड़े शहर में पढ़ने भेजेंगे और उसकी तस्वीर अखबार में छपवाएंगे.
इस प्रेरणा से निकिता ने 15 अगस्त 2024 से रोजाना 5 घंटे पढ़ाई की. उनकी मेहनत रंग लाई, लेकिन पिता इसे देखने के लिए मौजूद नहीं थे. निकिता ने ठान लिया है कि वह पिता का सपना पूरा करेंगी.
परिवार की जिम्मेदारी मां के कंधों पर
पिता के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी निकिता की मां दरिया कंवर पर आ गई है. निकिता के परिवार में चार बहनें—भावना, माया, जनक और एक भाई महावीर हैं. भावना, माया और जनक पढ़ी-लिखी हैं, जबकि महावीर ने हाल ही में 10वीं की परीक्षा दी है. आर्थिक तंगी के बावजूद निकिता ने हिम्मत नहीं हारी और घर से ही पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया.
प्रेरणा बन रही निकिता की कहानी
निकिता ने कहा, “पिता के शब्द आज भी मेरे कानों में गूंजते हैं. भले ही वे मेरे साथ नहीं हैं, उनके सपने मेरे साथ हैं.” उनकी यह कहानी उन तमाम छात्रों के लिए प्रेरणा है जो मुश्किल हालात में भी अपने लक्ष्य को हासिल करने का जज्बा रखते हैं. निकिता का दृढ़ संकल्प साबित करता है कि मेहनत और इरादों से कोई भी सपना असंभव नहीं है.
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