राजस्थान के इस जिले में अर्थी को कंधा देने वालों पर भी मंडरा रहा खतरा, मुश्किलों भरा होता है अंतिम सफर

राजस्थान के इस जिले में अर्थी के साथ लोग अपनी जान जोखिम में डालकर पहुंचते हैं. लोगों को अपना अंतिम सफर तय करने के लिए भी किसी रास्ते की सुविधा नहीं है.

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Rajasthan News: किसी भी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी अंतिम यात्रा दूसरों के कंधों पर होती है. लेकिन उस वक्त क्या किया जाए जब अंतिम यात्रा में शामिल लोग खुद अपने जीवन को खतरे में डालकर किसी की अंतिम संस्कार में भाग लेने पहुंचे. राजस्थान से सामने आया ये मंजर आपको चौंका देगा. यह तस्वीरें आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि आज भी प्रदेश में ऐसी कोई जगह हैं, जहां व्यक्ति की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार करने वालों को इतनी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

सरकारी व्यवस्थाओं पर खड़े होते सवाल

यह भयानक मंजर झालावाड़ जिले से सामने आया है. जहां अंतिम संस्कार के लिए खुद की जान जोखिम में डाल कर, पानी के तेज बहाव वाले खालों और नालों से लोगों को गुजरना पड़ा. यह व्यवस्था पंचायती राज में खर्च होने वाले उस बजट पर भी सवाल खड़ा करती है, जो सरकार द्वारा प्रत्येक ग्राम पंचायत को दिया जाता है. सरकारी व्यवस्थाओं को लेकर उस वक्त प्रश्न खड़े होते हैं, जब जिला प्रशासन पंचायत स्तर पर ऐसा कोई इंतजाम नहीं करता है. जिससे व्यक्ति की मौत के बाद उसकी अंतेष्ठि में किसी प्रकार की परेशानी का ना सामना करना पड़े.

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कई साल से कर रहे हैं रास्ते की मांग

अपने कंधों पर अर्थी उठाए पानी के खाल को पार करते ये लोग झालावाड़ जिले की सुनेल पंचायत समिति की ग्राम पंचायत सिरपोई के सनोरिया गांव के हैं. जहां शमशान जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है. बारिश में किसी की मृत्यु हो जाए तो मुसीबत आ जाती है. आज जब खेड़ा सिंदुरिया निवासी कमलाबाई का निधन हो गया तो दाह संस्कार करने के लिए ग्रामीणों को श्मशान तक जाने का रास्ता भी मुहैय्या नहीं हुआ.

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ग्रामीणों को दाह संस्कार के लिए खाल में बहते हुए पानी को जान जोखिम में डालकर पार करना पड़ा. ग्रामीणों का कहना है कि कई सालों से श्मशान में जाने के रास्ते की मांग वह कर रहे हैं. लेकिन अभी तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है.

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