Rajasthan: दूसरे चरण में प्रचार करने राजस्थान नहीं आएंगे कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता, गहलोत, पायलट और डोटासरा के हाथ में कमान

स्थानीय नेताओं में सचिन पायलट दो दिन के केरल दौरे पर हैं, जबकि अशोक गहलोत का पूरा फोकस अब अपने पुत्र वैभव गहलोत की जालोर सिरोही की सीट पर हो गया है. लिहाज़ा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा एकमात्र ऐसे नेता हैं जो सभी सीटों पर जाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
सचिन पायलट और अशोक गहलोत (फाइल फोटो)

Rajasthan Lok Sabha Elections 2024: राजस्थान में लोकसभा चुनाव की 13 सीटों के दूसरे चरण के चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस को स्थानीय नेताओं से ही काम चलाना होगा. इसकी वजह है कि राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी राजस्थान में दूसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार करने नहीं आएंगे. इन तीनों नेताओं को दूसरे चरण में राजस्थान का कोई कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है. कांग्रेस पार्टी कोशिश कर रही है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की एक चुनावी सभा करवाई जाए. इस परिस्थिति में 13 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को स्थानीय नेताओं के भरोसे ही काम चलाना होगा. 

प्रचार के तीन दिन बचे हैं, सब जगह पहुंचना मुश्किल 

स्थानीय नेताओं में सचिन पायलट दो दिन के केरल दौरे पर हैं, जबकि अशोक गहलोत का पूरा फोकस अब अपने पुत्र वैभव गहलोत की जालोर सिरोही की सीट पर हो गया है. लिहाज़ा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा एकमात्र ऐसे नेता हैं जो सभी सीटों पर जाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि, अशोक गहलोत, सचिन पायलट के कुछ कार्यक्रम 13 लोकसभा सीटों पर रखे गए हैं. लेकिन तीन दिनों में सभी जगह पहुंच पाना बेहद मुश्किल होगा. वहीं दूसरी ओर भाजपा कोशिश कर रही है कि दूसरे चरण की हॉट सीटों के लिए PM नरेंद्र मोदी अमित शाह और योगी जैसे नेताओं के रोड शो और जनसभाएं करवाई जाएं .

Advertisement

नहीं आये कांग्रेस के स्टार प्रचारक 

इससे पहले, पहले चरण में भी राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी का राजस्थान में एक ही कार्यक्रम हो पाया था. जबकि कांग्रेस के अधिकांश स्टार प्रचारकों ने भी राजस्थान से दूरी बनाए रखी थी. कांग्रेस के प्रत्याशी मानते हैं स्टार प्रचारकों के नहीं आने से उन्हें नुक़सान हो सकता है क्योंकि सामने भाजपा के नेताओं की चुनौती बड़ी है. बड़े नेताओं के चुनाव प्रचार के लिए आने से बड़ी जनसभा के ज़रिए कार्यकर्ताओं में जोश लाया जा सकता है. लेकिन अब बड़े नेताओं के नहीं आने की सूरत में कोशिश की जाएगी कि स्थानीय नेताओं के सहारे ही काम चलाया जाए.

Advertisement

यह भी पढ़ें- 4 लाख विद्यार्थी अभिभावकों के नाम लिख रहें "वोट मनुहार की पाती", 39 हजार बच्चों ने लिखी पाती

Advertisement