Rajasthan News: राजस्थान के इस गांव में खुदाई में मिली प्राचीन देवी-देवताओं की प्रतिमाएं, किसान ने बंद करा दी खुदाई

Churu news: राजस्थान के चूरू में खुदाई के दौरान प्राचीन देवी-देवताओं की मूर्तियां मिलीं. एक खेत की खुदाई में हरियाणा बॉर्डर के निकट ये अवशेष दिखाई दिए.

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चुरू में खुदाई के दौरान पुरानी देवी-देवताओं की मूर्तियां मिलीं.

Churu news: राजस्थान के चूरू जिले की सादुलपुर तहसील के कामाण गांव में प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले. कामाण गांव के एक खेत में खुदाई का काम चल रहा था. ग्रामीणों ने जेसीबी से खुदाई की. खुदाई में पत्थर का टंकी जैसा गोल मकान, मिट्टी के बर्तन, बड़े पत्थर और पशुओं के लिए बनाए गए पत्थर के बर्तन के साथ देव प्रतिमा भी मिली. गांव वालों ने 15 फीट की गहराई के बाद खुदाई बंद कर दी.  

ट्रैक्टर से पलाऊ करते समय पत्थर से टकराने नोक टूट गया   

 गांव के लोगों के अनुसार राजवीर सिंह महला के खेत में ड्राइवर ट्रैक्टर से पलाऊ कर रहा था. एक दिन अचान पलाऊ किसी वस्तु से टकरा गया. इसकी वजह से नोक टूट गई. ट्रैक्टर ड्राइवर ने देखा कि किसी बड़े पत्थर से टकराया है. जब ड्राइवर ने दोबारा पलाऊ चलाने का प्रयास किया. ट्रैक्टर से पलाऊ नहीं चल पाया. तब उसने खेत के मालिक को सूचना दी. खेत मालिक राजवीर महला खेत में पहुंचकर 2-3 युवकों के साथ खुदाई की शुरुआत की. खुदाई करते समय उन्हें बड़े-बड़े पत्थरों से बने कुएं की तरह कुद दिखाइ दिया.

10 से 15 फीट गहराई के खुदाई बंद कर दी

जेसीबी मशीन से खुदाई शुरू की गई. खुदाई के दौरान बड़े-बड़े पत्थर और एक देव प्रतिमा. एक पत्थर का बना बड़ा पशुचारे का बर्तन निकले. लगभग 10-15 फीट की गहराई के बाद जमीन नजर आने लगी. तब खुदाई बंद कर दी गई. जेसीबी मशीन से लगभग 2 घंट तक खुदाई हुई. बड़े बड़े पत्थरों से बना कुए जैसी दिखाई देने वाली जगह पर 10 से 15 फीट के बाद पक्क फर्श नजर आया.

ग्रामीणों ने कुंड होने का अनुमान लगाया

ग्रामीणों ने उस पर किसी कुंड होने का अनुमान लगाया. खुदाई में भारी पत्थरों को कुएं की शक्ल देने, देव प्रतिमा की उपस्थिति और एक बड़े पत्थर के बने बर्तन के निकलने से गांववासियों को आश्चर्य हुआ. इसलिए क्योंकि आसपास कोई पहाड़ी क्षेत्र नहीं था और न ही पथरीली जमीन थी. ग्रामीणों का मानना था कि यहां पर कई वर्षों पहले कोई मानव परिवार या बस्ती रही होगी.

सैकड़ों साल पुरानी हैं मूर्तियां 

गांव के निवासी जलेसिह लाखलाण, रघुवीर सिंह, महेंद्र सिंह लाखलाण, शेरसिंह खैरू छोटी, उमेदसिंह, सुरेंद्रसिंह गुर्जर, करणसिंह महला, आजाद सिंह बेनीवाल, जयप्रकाश लाखलाण, सुनील कुमार, लमीचंद, अजीत कुमार, रविंद्र बेनीवाल, और जयकरण ने बताया कि गांव में 90 साल तक के लोग रह रहे हैं. उन्होंने कभी भी इस जगह पर किसी आबादी बस्ती का जिक्र नहीं सुना या देखा है. इससे साफ है कि कई सैकड़ों वर्ष पहले यहां पर किसी बस्ती की स्थापना हो चुकी थी.

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