राजस्थान की सियासत में अंता नतीजों के बाद होगा बड़ा उलटफेर, मंत्रिमंडल के विस्तार की तैयारी 

राजस्थान में अब अंता उपचुनाव और मुख्य सचिव के ट्रांसफर के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. इसके साथ ही सरकार मंत्री मण्डल के विस्तार का भी विचार कर रही है.   

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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा.

Rajasthan News: राजस्थान में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. सत्ता के गलियारों से लेकर पार्टी संगठन और प्रशासन तक हर स्तर पर बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार जल्द ही नई रफ्तार पकड़ने वाली है. मुख्य सचिव के तबादले ने इसकी शुरुआत कर दी है. अब सभी की नजरें 14 नवंबर को होने वाले अंता उपचुनाव के नतीजों पर टिकी हैं. ये नतीजे न सिर्फ एक सीट तय करेंगे बल्कि पूरे राज्य की राजनीतिक दिशा बदल सकते हैं. भाजपा को उम्मीद है कि ये बदलाव अगले साल के पंचायत और निकाय चुनावों में नई ऊर्जा लाएंगे. 

मुख्य सचिव की कुर्सी पर होगा कौन?

मुख्य सचिव सुधांशु पंत का दिल्ली तबादला हो चुका है. अब राज्य को नए प्रशासनिक मुखिया की तलाश है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ऐसे अफसर चाहते हैं जो केंद्र सरकार के मंत्रालयों से अच्छा तालमेल रखें और राज्य के विकास कार्यों को तेज गति दें. चर्चा में कई नाम उभर रहे हैं.

इनमें श्रीनिवास एसीएस अभय कुमार रजत मिश्रा, एसीएस अखिल अरोड़ा, शिखर अग्रवाल और आनंद कुमार शामिल हैं. सूत्र बताते हैं कि दिल्ली से कोई सरप्राइज नाम भी आ सकता है जैसे तन्मय कुमार. ये चुनाव विकास एजेंडे को मजबूत बनाने के लिए महत्वपूर्ण है. प्रशासनिक बदलाव से राज्य की योजनाओं में नई जान आएगी.

मंत्रिमंडल के विस्तार की तैयारी

राज्य मंत्रिमंडल में अभी 24 मंत्री काम कर रहे हैं. कुल सीमा 30 की है यानी छह जगहें खाली पड़ी हैं. मुख्यमंत्री दिसंबर में सरकार के दो साल पूरे होने से पहले टीम को मजबूत बनाना चाहते हैं. ये विस्तार जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखकर होगा. भाजपा गुजरात मॉडल अपनाने पर विचार कर रही है.

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वहां की तरह सभी मंत्रियों से इस्तीफा लेकर चुनिंदा चेहरों को नई जिम्मेदारी दी जा सकती है. इससे संगठन के समीकरण भी सधेंगे. जनता के बीच नई टीम उतारकर सरकार अपनी छवि चमकाना चाहती है. ये कदम राजनीतिक मजबूती के लिए जरूरी माना जा रहा है.

दिखेंगे युवा और अनुभवी चेहरे

भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी लगभग तैयार है. करीब 30 सदस्यों वाली ये सूची जल्द घोषित हो सकती है. इसमें युवा नेताओं और अनुभवी चेहरों का अच्छा तालमेल होगा. मुख्यमंत्री प्रदेशाध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी ने राष्ट्रीय नेतृत्व से चर्चा पूरी कर ली है. पार्टी का लक्ष्य बूथ स्तर तक नेटवर्क मजबूत करना है. बोर्ड आयोग और निगमों में राजनीतिक नियुक्तियां भी लंबित हैं. इनमें वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ताओं को जगह मिलेगी. ये बदलाव पार्टी को चुनावी मैदान में मजबूत बनाएंगे.

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अंता उपचुनाव होगा निर्णायक मोड़

14 नवंबर को अंता उपचुनाव के नतीजे सब कुछ तय करेंगे. भाजपा इसे लिटमस टेस्ट मान रही है. अच्छे परिणाम से मंत्रिमंडल संगठन और प्रशासनिक नियुक्तियों पर मुहर लगेगी. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा हाल ही में दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल चुके हैं. ये मुलाकात फेरबदल की रणनीति में अहम है. दिसंबर से पहले बड़ा बदलाव तय है.

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