Rajasthan Politics: विधानसभा उपचुनाव से पहले भारत आदिवासी पार्टी में दो फाड़! 8 नेताओं को पार्टी से निकाला

Rajasthan Politics: विधानसभा उपचुनाव से पूर्व अनुशासनहीनता करने और लोकसभा चुनाव परिणाम बाद से भारत आदिवासी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने वाले आठ पादाधिकारियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है.

Advertisement
Read Time: 2 mins

Rajasthan Politics:  राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले भारत आदिवासी पार्टी में बिखराव की स्थिति पैदा हो गई है. शनिवार को पार्टी के 8 नेताओं को निकाल दिया गया है. बता दें कि भारतीय ट्राइबल पार्टी से अलग होकर इस बार लोकसभा चुनाव में भारत आदिवासी पार्टी (BAP) एक सीट पर जीत दर्ज की थी. अब विधानसभा उपचुनाव पूर्व से लगातार अनुशासनहीनता करने और लोकसभा चुनाव परिणाम बाद से भारत आदिवासी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने वाले आठ पादाधिकारियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है.

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने 8 नेताओं को निकाला

शनिवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन लाल रोत (Mohan Lal Roat) ने पत्र जारी किया, जिसमें पार्टी विरोधी काम करते हुए समांतर संगठन बनाने के लिए विरोधी लोगों से संपर्क करने, निरंतर सौदेबाजी में संलग्न रहने, सांठ-गांठ करने की पुख्ता जानकारी मिलने, सुधरने एवं व्यवहार परिवर्तन का पर्याप्त अवसर देने पर भी समाज अहित में व्यस्त रहने को लेकर दी गई अनुशासन समिति की रिपोर्ट पर बांसवाड़ा जिले के 8 पदाधिकारियों को पार्टी की सदस्यता से तत्काल प्रभाव निलंबित किया गया. 

निलंबित होने वाले सदस्य

  • मणिलाल गरासिया
  • दिनेश डाबी
  • राकेश डिंडोर
  • मुकेश राणा
  • राजू राणा
  • नारायण बामणिया
  • पवन बुझ
  • तेजकरण मईडा

इन नेताओं को पार्टी से निलंबित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा है कि अब भविष्य में भारत आदिवासी पार्टी (BAP) का इन आठ व्यक्तियों से कोई संबंध नहीं है.

नाम को लेकर विरोधाभास

एक तरफ जहां भारत आदिवासी पार्टी के नव निर्वाचित सांसद राजकुमार रोत और अन्य पदाधिकारी अलग भील प्रदेश की मांग को बुलंद करने की बात कर रहे हैं तो पार्टी से निकाले गए पदाधिकारी इसका नाम जांबूखंड प्रदेश रखने की बात कह रहे हैं. इसको लेकर पिछले कुछ दिनों ने सोशल मीडिया पर "पोस्ट वार" चल रहा है. इसके बाद ही भारत आदिवासी पार्टी ने यह कदम उठाया है.

Advertisement

यह भी पढ़ें- 'वसुंधरा राजे होतीं तो कुछ ना कुछ लाभ मिलता', अपनी हार पर बोले सुमेधानंद सरस्वती