Rajasthan Politics: आज डूंगरपुर में कांग्रेस का सम्मेलन, आदिवासी अंचल में फिर ज़मीन तलाशने की जद्दोजहद करेगी पार्टी 

सियासी जमीन को दोबारा पाने के लिए कांग्रेस आज डूंगरपुर के गांधी आश्रम में और उदयपुर के सुखाड़िया रंगमंच पर संभाग स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करने जा रही है. डोटासरा, रंधावा, जूली सहित प्रदेश नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं से संवाद किया जाएगा और 52,000 बूथों पर नए BLO तैनात करने की तैयारी का एलान होगा.

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Dungapur News: राजस्थान के आदिवासी बेल्ट में राजनीतिक सम्मेलन के ज़रिए कांग्रेस ने आदिवासी इलाके में अपने खोए हुए सियासी जनाधार को फिर से हासिल करने की कवायद शुरू कर दी है. दरअसल राजस्थान की राजनीति में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग की आरक्षित सीटों की निर्णायक भूमिका है. विधानसभा की कुल 200 में से 59 सीटें इन वर्गों के लिए आरक्षित हैं. 34 अनुसूचित जाति (SC) और 25 अनुसूचित जनजाति (ST) है. परंपरागत रूप से इन सीटों पर पकड़ रखने वाली कांग्रेस को हाल के वर्षों में भाजपा और क्षेत्रीय ताकतों से गहरी चुनौती मिली है. खासकर भारत आदिवासी पार्टी (BAP) का उभार कांग्रेस के लिए बड़ी चिंता बना हुआ है.

राजस्थान विधानसभा की कुल 200 सीटों में से 59 सीटें अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लिए आरक्षित हैं. इनमें से 34 सीटें SC और 25 सीटें ST वर्ग के लिए निर्धारित हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव परिणाम इन वर्गों में राजनीतिक रुझानों का बड़ा संकेत बनकर सामने आए हैं.

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भाजपा ने किया था अच्छा प्रदर्शन 

भाजपा ने इन आरक्षित सीटों पर जोरदार प्रदर्शन करते हुए कुल 34 सीटें अपने नाम की थीं इसमें 22 सीटें SC वर्ग और 12 सीटें ST वर्ग से थीं. दूसरी ओर कांग्रेस को 21 सीटों पर संतोष करना पड़ा जिसमें SC वर्ग से 11 और ST से 10 सीटें मिलीं. वहीं भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने 3 और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने भी जीत दर्ज की, BAP ने ST की 3 सीटें आसपुर, धरियावद, चौरासी और एक उपचुनाव में बागीदौरा भी जीतकर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया था.

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भारत आदिवासी पार्टी हुई मजबूत 

भाजपा ने आरक्षित सीटों पर लगभग 58% हिस्सेदारी हासिल की जबकि कांग्रेस की हिस्सेदारी 36% रही. BAP और निर्दलीय प्रत्याशी 6% सीटों पर जीत हासिल कर सकें. यह परिणाम न केवल आदिवासी और दलित राजनीति की दिशा को दर्शाते हैं बल्कि यह भी साफ करते हैं कि आरक्षित सीटों पर कांग्रेस की पारंपरिक पकड़ अब भाजपा और क्षेत्रीय दलों की चुनौती झेल रही है.

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आज डूंगरपुर में कांग्रेस का सम्मलेन 

इसी सियासी जमीन को दोबारा पाने के लिए कांग्रेस आज डूंगरपुर के गांधी आश्रम में और उदयपुर के सुखाड़िया रंगमंच पर संभाग स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करने जा रही है. डोटासरा, रंधावा, जूली सहित प्रदेश नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं से संवाद किया जाएगा और 52,000 बूथों पर नए BLO तैनात करने की तैयारी का एलान होगा. संदेश बिल्कुल साफ़ है कि कांग्रेस अब संगठन की ताकत के सहारे उन इलाकों में वापसी करना चाहती है जहां से सत्ता की असली राह निकलती है.

विशेषज्ञ मानते हैं कि भाजपा ने 2013 से इन वर्गों में राजनीतिक पकड़ मजबूत करना शुरू किया था. कांग्रेस ने 2018 में वापसी की, लेकिन 2023 में फिर भाजपा ने बढ़त बना ली. अब देखना होगा कि आने वाले वर्षों में यह समीकरण कितना स्थायी साबित होता है.

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