Rajasthan Politics: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर जहां राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुटी है. वहीं, कांग्रेस राजस्थान में बीजेपी की मिशन 25 को भेदने की तैयारी में जुटी है. बीजेपी ने 15 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. लेकिन कांग्रेस में भागादौड़ी की वजह से अब तक पार्टी ने राजस्थान में उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है. वहीं, दूसरी तरफ अब चुनाव से पहले कांग्रेस के नेताओं में टूट भी दिखने लगी है. जिस परिवारवाद के मुद्दे को बीजेपी चुनाव में अक्सर भंजाते दिखती है. उस मुद्दे पर अब कांग्रेस के अंदर भी कलह मची हुई है. नेता आपस में ही एक दूसरे पर आरोप और प्रत्यारोप लगा रहे हैं.
ताजा मामला राजस्थान के डूंगरपुर जिले का है. जहां पहले से ही महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने बीजेपी में शामिल होकर हंगामा मचा रखा है. वहीं, बीजेपी के उम्मीदवार घोषित होने के बाद इस क्षेत्र को कांग्रेस मुक्त बनाने में लग चुके हैं. हाल में इसका नजारा भी दिखा जहां हजारों नेता और कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हो गए. इस बात से कांग्रेस में नेताओं के बीच भी खलबली मची हुई है.
कांग्रेस के हजारों नेताओं के बीजेपी में कूच करने के बाद रविवार (10 मार्च) को कांग्रेस के पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा (Tarachand Bhagora) ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश खोडनिया (Dinesh Khodaniya) पर निशाना साधा था. अब इसके बाद दिनेश खोडनिया ने पलटवार करते हुए कहा कि ताराचंद भगोरा ने परिवारवाद की वजह से कांग्रेस को बर्बाद कर दिया है.
कांग्रेस को कर दिया कमजोर
सागवाडा में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष दिनेश खोडनिया ने पूर्व सांसद भगोरा के खिलाफ जमकर आरोप लगाये. उन्होंने कहा कि ताराचंद भगोरा ने अपने परिवार को आगे बढाने और स्वार्थ के कारण कांग्रेस पार्टी को कमज़ोर करने का काम किया. खोडनिया ने कहा कि भगोरा ने ही डूंगरपुर कांग्रेस की राजनीति में नये और युवा आदिवासी को आने से रोका जिसके चलते आदिवासी युवा कांग्रेस से दूर होते गए. जो लोगों पहले भी कांग्रेस से ग़द्दारी कर चुके हैं. वे लोग अपने निजी स्वार्थ के कारण कांग्रेस छोड़ भाजपा में जा रहे हैं.
खोडनिया ने लगाए एक के बाद एक आरोप
उन्होंने कहा कि भाजपा में जो लोग गये हैं उन्होंने भगोरा के कहने पर ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बग़ावत की थी. भगोरा बार-बार मर्यादा तोड़ रहे हैं. भगोरा ने राजनीति में आने के बाद कांग्रेस के क़द्दावर नेता रहे महेंद्र परमार, भीखा भाई भील और नाथूराम जी और चौरासी में आमलिया परिवार को ख़त्म करने का काम किया. किसी नये आदिवासी युवा नेता को कांग्रेस में आगे बढ़ने नहीं दिया. भगोरा ने डूंगरपुर कांग्रेस को अपने जेब की कांग्रेस बनाने का काम किया जिसके चलते सभी ज़िलाध्यक्षों को परेशान किया गया.
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