राजस्थान राज्यसभा उपचुनाव: सुनील कोठारी ने वापस लिया नामांकन, निर्विरोध चुने जाएंगे रवनीत सिंह बिट्टू

देश में राज्यसभा की खाली हुई 12 सीटों को भरने के लिए 3 सितंबर को उपचुनाव होना है. मगर, राजस्थान में बिट्टू के अलावा अब कोई अन्य प्रत्याशी मैदान में नहीं है. उनका निर्विरोध चुना जाना तय है.

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Rajasthan News: राजस्थान की एक सीट पर होने वाले राज्यसभा उपचुनाव से भाजपा नेता सुनील कोठारी (Sunil Kothari) ने शुक्रवार को अपना नामांकन वापस ले लिया. उन्होंने बीजेपी डमी उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा था. इस दौरान की एक तस्वीर भी सामने आई है, जिसमें संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल भी उनके साथ मौके पर मौजूद नजर आ रहे हैं. इससे एक दिन पहले निर्दलीय उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया था. अब रवनीत सिंह बिट्टू (Ravneet Singh Bittu) ही इकलौते उम्मीदवार मैदान में बचे हैं, जिनका निर्विरोध चुना जाना तय हो गया है.

निर्दलीय उम्मीदवार का नामांकन क्यों रद्द हुआ?

राजस्थान में राज्यसभा उपचुनाव को लेकर तीन प्रत्याशियों ने नामांकन दर्ज कराया था. लेकिन इनमें से राज्यसभा के लिए खड़ी हुई निर्दलीय उम्मीदवार बबीता वाधवानी का नामांकन रद्द कर दिया गया. जबकि दूसरे उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया. पर्यवक्षक एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन की उपस्थिति में निर्वाचन अधिकारी महावीर प्रसाद शर्मा और सहायक निर्वाचन अधिकारी संजीव कुमार शर्मा ने सभी नामांकन पत्रों की जांच की थी, जिसमें बबीता वाधवानी का पत्र सही नहीं पाया गया, और इस तरह वे रेस से बाहर हो गईं.

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किस फॉर्मूले से होता है राज्यसभा सांसद का चयन?

राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया लोकसभा चुनाव से बहुत अलग होती है. इस प्रक्रिया के तहत वोटिंग और काउंटिंग के लिए एक विशेष फॉर्मूले का उपयोग किया जाता है. राज्यसभा चुनावों में राज्यों में जितने सीट खाली होती है, उसमें एक जोड़कर जितने विधानसभा सीटें होती है, उसका भाग दिया जाता है. जो परिणाम आता है उसने फिर से एक जोड़ा जाता है. यही संख्या जीत के लिए जरूरी वोट है. उदाहरण के तौर पर, राजस्थान में राज्यसभा की एक सीट पर चुनाव हो रहा है. इसमें एक और जोड़ने पर संख्या दो आयगी. राजस्थान में 200 विधानसभा सीटे हैं, लेकिन वर्तमान में 6 सीट खाली हैं. इस लिहाज से 194 में 2 का भाग देने पर परिणाम 97 आएगा. इसमें एक और जोड़ने पर यह संख्या 98 हो जाएगी. इसलिए अगर इस बार कांग्रेस चुनाव लड़ती तो रवनीत सिंह बिट्टू को जीतने के लिए 98 मतों की आवश्यकता होती. भाजपा के पास फिलहाल 114 विधायक हैं. इस लिहाज से जीतने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती.

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