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'1 करोड़ मुआवजा, 2 सरकारी नौकरी और...', जयपुर में धरने पर बैठे थाने में सुसाइड करने वाले कांस्टेबल के परिजन

सीकर सांसद अमराराम के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोग मोर्चरी के बार धरना दे रहे हेड कांस्टेबल के परिवार से मिलने पहुंच रहे हैं. इसी के चलते राजधानी जयपुर में सियासी पारा बढ़ने लगा है.

'1 करोड़ मुआवजा, 2 सरकारी नौकरी और...', जयपुर में धरने पर बैठे थाने में सुसाइड करने वाले कांस्टेबल के परिजन
जयपुर में SMS हॉस्टिल की मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठे लोगों की तस्वीर.

Rajasthan News: राजस्थान की राजधानी जयपुर (Jaipur) में भांकरोटा थाना के हेड कांस्टेबल बाबूलाल बैरवा का सुसाइड मामला (Head Constable Suicide Case) बढ़ता ही जा रहा है. शुक्रवार सुबह से 5 सूत्रीय मांगों को लेकर बाबूलाल के परिजन सवाई मानसिंह हॉस्पिटल (SMS) की मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठ गए हैं. उन्होंने साफ कहा है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी वो धरना खत्म नहीं करेंगे.

धरने पर बैठे परिजनों की 5 मांगें क्या-क्या हैं?

मुकंदरपुरा रोड पुलिस चौकी में फांसी का फंदा लगाकर सुसाइड करने वाले हेड कांस्टेबल के परिजन की मांग है कि सुसाइड नोट में जिन-जिन लोगों के नाम हैं, उन सभी की तुरंत गिरफ्तारी की जाए. इसके साथ ही पीड़ित परिवार को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए. अनुकंपा की नौकरी के अलावा परिवार के एक अन्य सदस्य को नौकरी दी जाए. बाबूलाल के निलंबन वाले मामले की फिर से जांच की जाए. साथ ही अनुसूचित जाति के कार्मिकों से जुड़े मामले और उसमें हुई कार्रवाई का विवरण सामने लाया जाए.

सुसाइड नोट में 3 पुलिस अधिकारियों का नाम

हेड कॉन्स्टेबल के पास से मिले सुसाइड नोट में 3 FIR का जिक्र है. इसमें 3 पुलिस अधिकारी और एक पत्रकार का नाम लिखा है. हेड कॉन्स्टेबल ने सुसाइड नोट के 6 पेज में एडिशनल डीसीपी वेस्ट हेड क्वार्टर जगदीश व्यास, एसीपी अनिल शर्मा, एसआई आशुतोष और पत्रकार कमल देगड़ा का नाम लिखा है. कांस्टेबल ने अपनी मौत का जिम्मेदार इन लोगों को बताया है. साथ ही मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है.

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गलत तरीके से फंसाकर निलंबन कराने के आरोप

सुसाइड नोट में कांस्टेबल ने लिखा कि एक जमीन विवाद में तत्कालीन एसएचओ, एक एएसआई और बाबूलाल को सस्पेंड कर दिया गया था. उस मामले में बाबूलाल अब बहाल हो गया था. हालांकि उस मामले की अभी जांच चल रही है. हेड कांस्टेबल ने अपने सुसाइड लेटर में लिखा है कि उसे इस मामले में गलत तरीके से जांच कर फंसाया गया था. उसने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग भी की है. बाबूलाल भारकरोटा थाने के मालखाने का इंचार्ज था. घटना की सूचना पर डीसीपी वेस्ट अमित कुमार भी मौके पर पहुंच गए हैं. डीसीपी वेस्ट अमित कुमार खुद मामले की जांच कर रहे हैं. 

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