Rajasthan: एक्सीडेंट के बाद ब्रेन डेड हो गईं थी संतोष, परिजनों ने अंगदान कर दी तीन लोगों को नई जिंदगी 

संतोष के बेटे पंकज कहते हैं, "मैंने अपनी मां को बचाने के काफी प्रयास किए. लेकिन हम उन्हें नहीं बचा सके. जब यहां हमें ऑर्गन डोनेट के लिए कहा गया तो हमने सोचा कि अगर इससे तीन परिवारों में खुशियां आती हैं तो हम यह करेंगे. इसीलिए हमने अंगदान का फैसला किया.

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ब्रेन डेड अंगदानी संतोषी

World Organ Donation Day: वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे पर एसएमएस अस्पताल में एक ब्रेन डेड मरीज ने तीन जरूरतमंदों की जिंदगी दी. झुंझुनू की रहने वाली 46 साल की महिला संतोष का 4 अगस्त को एक्सीडेंट हो गया था. शुरुआती इलाज के बाद स्थिति में सुधार न होता देखकर संतोष के परिजन उन्हें एसएमएस अस्पताल लेकर आए. लेकिन यहां भी वे ठीक नहीं हुई जिसके बाद उन्हें एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर भेजा गया था. यहां चिकित्सकों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया था.

किडनी और हार्ट किया डोनेट 

एसएमएस मेडिकल कॉलेज में ट्रांसप्लांट के नोडल अधिकारी डॉ मनीष अग्रवाल और उनकी टीम ने मरीज के परिजनों को अंगदान के लिए तैयार किया जिसके बाद परिजनों ने दोनों किडनी और हार्ट डोनेट करने का फैसला किया. ऑर्गन डोनेशन के बाद उनके पार्थिव देह को सम्मान के साथ विदा किया गया. 

अंगदान के लिए जागरूकता अभियान का असर दिखाई दे रहा है. बीते एक महीने में पूरे देश में 1 लाख 79 हजार लोगों ने अंगदान का संकल्प लिया है. इनमें राजस्थान के सबसे अधिक 39 हजार 558 लोग शामिल हैं.

'तीन परिवारों में खुशियां आएंगी तो हम यह करेंगे'

संतोष के बेटे पंकज कहते हैं, "मैंने अपनी मां को बचाने के काफी प्रयास किए. लेकिन हम उन्हें नहीं बचा सके. जब यहां हमें ऑर्गन डोनेट के लिए कहा गया तो हमने सोचा कि अगर इससे तीन परिवारों में खुशियां आती हैं तो हम यह करेंगे. इसीलिए हमने अंगदान का फैसला किया.

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