Rajasthan School Guideline: भीषण गर्मी की वजह से स्कूल और संस्थानों के लिए गाइडलाइन जारी, जानें शिक्षा निदेशक के क्या दिये हैं निर्देश

जस्थान की भीषण गर्मी की वजह से कई बार बच्चों के तबीयत बिगड़ जाती है. ऐसे में शिक्षा विभाग पहले से सजग है और गर्मी बढ़ते देख स्कूल और शिक्षण संस्थानों के लिए गाइडलाइन जारी की गई है.

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Rajasthan School Guideline: राजस्थान में तेजी से गर्मी बढ़ती जा रही है. कई जिलों में तापमान 40 डिग्री के पार चला गया है. ऐसे में स्कूल में पढ़ने वाले नौनिहालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. राजस्थान की भीषण गर्मी की वजह से कई बार बच्चों के तबीयत बिगड़ जाती है. ऐसे में शिक्षा विभाग पहले से सजग है और गर्मी बढ़ते देख स्कूल और शिक्षण संस्थानों के लिए गाइडलाइन जारी की गई है.

गर्मी और लू के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए विद्यालयों को सजग व सावधान रहते हुए विद्यार्थियों व अभिभावकों को जागरुक करने के साथ ही गर्मी व लू से बचाव के लिए पूर्व तैयारी व व्यवस्था करने की अत्यन्त आवश्यकता है. अतः समस्त राजकीय व गैर-राजकीय विद्यालयों में गर्मी व लू से बचाव के लिए पूर्व तैयारी व व्यवस्था करने के संबंध में निदेशक, माध्यमिक शिक्षा आशीष मोदी ने कई दिशा-निर्देश जारी किये हैं.

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विद्यालय के दैनिक दिनचर्या में संशोधन

विद्यालय के दैनिक दिनचर्या में संशोधन किया गया है जिसके तहत कहा गया है कि कोई भी खेल प्रशिक्षण या ड्रिल अथवा कैम्प भीषण गर्मी के दौरान खुले में नहीं करवाया जाए. स्कूल की प्रार्थना सभा/असेंबली को छायादार (कवर्ड एरिया) में या कक्षाओं में कम समय में आयोजित किया जाना चाहिए. आगामी भीषण गर्मी के मौसम को देखते हुए बच्चों को भारी-भरकम स्कूल बैग से निजात दिलाने हेतु केवल अति आवश्यक पाठ्य पुस्तकों को ही शामिल किया जाएं. स्कूल छुट्टी होने के बाद विद्यार्थियों के बाहर निकलने के दौरान भी छाया व ठण्डे पानी की व्यवस्था की जा सकती है.

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स्कूल आने जाने के लिए निर्देश

बच्चों के स्कूल आने-जाने के लिए भी निर्देश दिये गए हैं. इसके मुताबिक, परिवहन के ऐसे साधन जो खुले हो एवं सीधे धूप के संपर्क में हो, ऐसे साधनों से बच्चों का स्कूलों से परिवहन नहीं करवाया जाये एवं वाहन चालकों को अपने वाहनों में प्राथमिक स्वास्थ्य उपचार किट (First Aid Kit) रखने हेतु निर्देशित किया जाए. स्कूल से घर जाने के दौरान विद्यार्थियों को टोपी / गमछे से सिर ढककर रखने की सलाह दी जाए. स्कूल बस/वैन में अधिक भीड़ नहीं होनी चाहिए. स्कूल बस/वैन क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को नहीं ले जाना चाहिए. बस/वैन में पीने का पानी उपलब्ध होना चाहिए. पैदल / साइकिल से स्कूल आने वाले विद्यार्थियों को सिर ढककर रखने की सलाह दी जाए. जहां तक संभव हो, अभिभावकों को विद्यार्थियों को स्वयं लाने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए. विद्यार्थियों को सलाह दें कि वे भीड़ वाले सार्वजनिक परिवहन से बचें और धूप में कम से कम निकलें. स्कूल बस/चैन/विद्यार्थियों की साइकिल आदि को छायादार क्षेत्र में पार्क किया जा सकता है.

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डिहाइड्र्रेशन से बचने के निर्देश

बच्चों को डिहाइड्रेशन से बचने के लिए भी निर्देश दिये गए हैं जिसके तहत, सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए शुद्ध एवं शीतल पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित हो. विद्यार्थियों को लू से बचाव के लिए अधिक पानी पीने के महत्व के बारे में बताया जाए और नियमित अंतराल पर पर्याप्त पानी पीने की सलाह दी जायें. विद्यार्थियों को सलाह दी जा सकती है कि वे अपनी पानी की बोतलें उपयोग करें. ग्रामीणों की सहायता से विद्यालय आवागमन के रास्तों में भी पीने के ठंडे पानी की व्यवस्था की जा सकती है. विद्यालय में ठंडा पानी उपलब्ध कराने के लिए वाटर कूलर/मिट्टी के बर्तन (घड़े) का उपयोग किया जा सकता है, इसलिए वाटर कूलर की मरम्मत व आवश्यक रखरखाव गर्मी के मौसम के प्रारंभ होने से पूर्व ही कर लिए जाए एवं यदि घड़ों या मटको के द्वारा ठंडा जल उपलब्ध करवाया जाना है तो उन्हें यथा समय खरीद कर रखा जावे एवं उन्हें प्रतिदिन साफ कर, स्वच्छ पानी से भरवाया जाना सुनिश्चित किया जाएं.

आंध्रप्रदेश की तर्ज पर राजस्थान के विद्यालयों में भी वाटर बैल बजाई जाए, जिससे कि कम से कम 3 छोटे-छोटे ब्रेक्स पेयजल एवं बाथरूम के लिए सुनिश्चित हो सके और इस दौरान विद्यालय प्रबन्धन द्वारा छोटे बच्चों को अपने निर्देशन में स्वच्छ पेयजल पिलाना सुनिश्चित किया जाए. इसी प्रकार प्रत्येक कालांश में, शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को अपनी पानी की बोतल से पानी पीने की याद दिलानी चाहिए. घर वापस जाते समय, स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि विद्यार्थी अपने साथ पानी ले जा रहे है. विद्यार्थियों द्वारा पानी के उपयोग में वृद्धि के साथ, शौचालयों का उपयोग बढ़ सकता है अतः शौचालयों को स्वच्छ और साफ रखकर इसके लिए तैयारी की जाए.

खाने का भी ध्यान रहें

गर्मी भोजन को खराब कर सकती है, इसलिए मध्याह्न भोजन के तहत भोजन आवश्यक रुप से गर्म और ताजा पका हुआ चाहिए. प्रभारी शिक्षक भोजन परोसने से पहले उसकी जाँच आवश्यक रुप से करेगें. बच्चों को दोपहर के भोजन/टिफिन के दौरान हल्का भोजन करने की सलाह दी जा सकती है. टिफिन लाने वाले बच्चों को सलाह दी जा सकती है कि वे ऐसा खाना न ले जायें जो बासी हो सकता है. विद्यालयों में कैंटीन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ताजा और स्वस्थ भोजन ही परोसा जाए.

कक्षा को भी सहज बनाएं

सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों में कक्षाओं में विद्यार्थियों के लिए हवा हेतु पंखों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. विद्यालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पंखे काम कर रहे हैं और कक्षाएं उचित रूप से हवादार हैं. यदि संभव हो तो वैकल्पिक पावर बैकअप की उपलब्धता की व्यवस्था की जा सकती है. सूर्य के प्रकाश को सीधे कक्षा में प्रवेश करने से रोकने के लिए खिडकियों में पर्व /अखबार आदि का उपायोग किया जा सकता है. परिवेश ठंडा जैसे 'खस' पर्दे, बांस/जूट चिक आदि, इन्हें जारी रखा जा सकता है. जिन विद्यालयों में कक्षा कक्ष कम हैं/ क्षतिग्रस्त यो खुले में हैं/निर्माणाधीन हैं. ऐसे विद्यालयों में विद्यार्थियों को भीषण गर्मी में नहीं बिठाया जावे एवं वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर टैण्ट छाया की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.

स्कूल यूनिफॉर्म के लिए निर्देश

विद्यार्थियों को ढीली और सूती सामग्री वाली यूनिफार्म / पोशाक पहनने की अनुमति दी जा सकती है. स्कूल यूनीफॉर्म के संबंध में गर्दन की टाई जैसे मानदंडों में ढील दे सकते हैं. चमड़े के जूतों के स्थान पर कपडे / कैनवास जूतों की अनुमति दी जा सकती है. विद्यार्थियों को सलाह दी जा सकती है कि वे पूरी बाजू की शर्ट पहनें.

प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं

सभी स्कूलों में भीषण गर्मी, हीट वेव, लू से बचने के लिए एवं उल्टी, अपचन, जी घबराहट, ज्वर से बचने के लिए चिकित्सकों की सलाह से विद्यार्थियों की उम्र अनुसार आवश्यक प्राथमिक स्वास्थ्य उपचार किट (First Aid Kit) में पर्याप्त आवश्यक दवाएं रखना सुनिश्चित करें. हल्के लू-स्ट्रोक के इलाज के लिए ओआरएस घोल की थैली, या नमक और चीनी का घोल लेना उपलब्ध होना चाहिए. नजदीकी अस्पताल के डॉक्टर/नर्स/ए.एन.एम. द्वारा हल्के तापघात की स्थिति में विद्यार्थियों को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने के लिए के सामान्य जानकारी दिलवायी जा सकती है. स्कूलों को किसी भी मामले में निकटतम अस्पताल / क्लिनिक/डॉक्टर/नर्स आदि तक त्वरित पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए.

विद्यार्थियों के लिए क्या करें और क्या न करें

लू के संबंध में क्या करें और क्या न करें को स्कूल में प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए। इनमें निम्नलिखित बिन्दु शामिल हो सकते हैं. पर्याप्त पानी पीयें भले ही प्यास न हो. ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन), घर का बना पेय जैसे लस्सी, तोरानी (चावल का पानी), नींबू पानी का उपयोग करें. खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए छाछ आदि लें. हल्के, हल्के रंग के, डीले. सूती कपडे पहनें। • अपने सिर को कपडे, टोपी या गमछे आदि से ढकें. जितना संभव हो घर के अंदर रहें. यदि आप बेहोश या बीमार महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

क्या न करें:

खाली पेट या भारी भोजन करने के बाद बाहर न निकलें. यदि आवश्यक न हो तो विशेष रूप से दोपहर में धूप में बाहर जाने से बचें. दोपहर के समय बाहर निकलने पर थकावट वाली गतिविधियों से बचें. नंगे पैर बाहर न जाएं. जंक फूड/बासी/मसालेदार खाना न खायें.

परीक्षा केंद्र के लिए निर्देश

बच्चों को परीक्षा हॉल में अपनी पारदर्शी पानी की बोतल लाने की अनुमति दी जा सकती है. परीक्षा केंद्रों को पीने के पानी की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए. परीक्षा केंद्रों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि परीक्षा हॉल में उनकी सीटों पर मांगे जाने पर उम्मीदवारों को तुरंत पानी की आपूर्ति की जाए. परीक्षा केंद्र पर विद्यार्थियों का प्रतीक्षा क्षेत्र छायादार क्षेत्र में पानी की व्यवस्था करें. परीक्षा केंद्र पर विद्यार्थियों का प्रतीक्षा क्षेत्र छायादार क्षेत्र में पानी की व्यवस्था के साथ हो सकता है.

आवासीय विद्यालय के भी निर्देश

उपर्युक्त के अतिरिक्त, आवासीय विद्यालय निम्नलिखित अतिरिक्त उपाय कर सकते हैं. गर्मी के मौसम से संबंधित सामान्य बीमारियों के लिए आवश्यक दवाएं स्टाफ नर्स के पास उपलब्ध होनी चाहिए. विद्यार्थियों को हीट स्ट्रोक से बचाव के संबंध में प्रागरूक किया जाए. शयनगृह में खिडकियों पर परदे लगे होने चाहिए. नींबू, छाछ और अधिक पानी की मात्रा वाले मौसमी फलों को आहार में शामिल करना चाहिए. मसालेदार भोजन से बचना चाहिए. कक्षाओं, छात्रावासों एवं डायनिंग हॉल में पानी एवं बिजली की सतत उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. खेल-कूद की गतिविधियों शाम के समय आयोजित की जानी चाहिए.

वृक्षारोपण

विद्यालय व परिवेश को अधिक अधिक वृक्षारोपण द्वारा हरा भरा रखने से न केवल छायादार स्थान उपलब्ध होंगे बल्कि ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव के कारण बढ़ रही गर्मी भी नियंत्रण में आ पाएगी. लू, आंधी, मरुस्थल प्रसार आदि समस्याओ से भी निपटने में वृक्षारोपण सहायक होगा. चुनौतीपूर्ण मौसम के बावजूद, राजस्थान के लोग पारंपरिक तरीकों से अपने घरों को रखने के लिए अनेक उपाय अपनाते हैं और छाया के लिए पेड़-पौधे व पीने के पानी ठंडा के लिए प्याऊ लगाते हैं. वृक्षारोपण, जल संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण और पर्यावरण के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना आवश्यक है.

निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, आशीष मोदी ने उपरोक्त निर्देशों को जारी कर इन सभी की पालना सुनिश्चित करने को कहा है और क्रियान्वयन के बाद रिपोर्ट करने के आदेश दिए हैं.

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