Rajasthan Summer Vacation: गर्मियों में राजहंस को रास आया बांसवाड़ा, माही डैम को ब्रीडिंग के लिए बनाया ठिकाना

Flamingo in Mahi Dam: बांसवाड़ा से 16 किलोमीटर दूर माही बांध के बैक में इन दिनों इन पक्षियों की अठखेलियां और प्रकृति के साथ उनका तालमेल देखने को मिला. यहां पर छीछला पानी होने के साथ ही साफ दिखते पानी में सैकड़ों की संख्या में फ्लेमिंगो पर्यावरण के लिए अच्छा संकेत है.

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माही डेम अठखेलियां करते राजहंस.

Rajasthan News: 100 टापुओं वाले जिले के नाम से मशहूर बांसवाड़ा की आबो हवा इन दिनों राजहंस यानि फ्लेमिंगो को खूब रास आ रही है और माही डेम बैक वाटर में हजारों की संख्या में फ्लेमिंगो ने डेरा डाला हुआ है. गुजरात के कच्छ से आमतौर पर फ्लेमिंगो गर्मियों की शुरुआत में यहां आते हैं. शर्मीले पक्षियों में शामिल फ्लेमिंगो के झुंड को यहां सुबह से शाम तक पानी में अठखेलियां करते हुए देखा जा सकता है. यह पक्षी भोजन के लिए अलग-अलग जगहों पर उड़ान भरते हैं. खास बात यह है कि फ्लेमिंगो रात के समय खुद को सुरक्षित रखने के लिए टापू के बीच ही रहते हैं. गर्मियों का सीजन इन पक्षियों के लिए प्रजनन काल होता है.

शहर से 16 किलोमीटर दूर माही बांध के बैक में इन दिनों इन पक्षियों की अठखेलियां और प्रकृति के साथ उनका तालमेल देखने को मिला. यहां पर छीछला पानी होने के साथ ही साफ दिखते पानी में सैकड़ों की संख्या में फ्लेमिंगो पर्यावरण के लिए अच्छा संकेत है. यहां प्रजनन कर ये अपनी संख्या में इजाफा कर रहे हैं.

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30 साल तक जीते हैं फ्लेमिंगो

विश्व में राजहंस की 6 प्रजातियां हैं. भारत में दो प्रजातियां दिखती हैं. पहला ग्रेटर फ्लेमिंगो (बड़ा राजहंस) और दूसरा लेसर फ्लेमिंगो (छोटा राजहंस). ग्रेटर फ्लेमिंगो गुजरात का राज्य पक्षी भी है. इसका वैज्ञानिक नाम फोनीकॉप्टरस रोजेयस है. यह भ्रमणशील प्रजाति है. फीडिंग साइट अक्सर अलग-अलग देशों में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पर होती है. इन स्थानों तक जाने के लिए ज्यादातर उड़ानें रात में होती हैं. फ्लेमिंगो एक प्रवासी पक्षी है, जो ठंड से बचने के लिए और भोजन की तलाश में एशिया में प्रवास करता है. ग्रेटर फ्लेमिंगो 6 प्रजातियों में सबसे लंबा है. इसकी लंबाई 3.9 से 4.7 फीट तक होती है. इनकी चोंच इन्हें दूसरे पक्षियों से अलग बनाती है. मुड़ी हुई चोंच औजार की तरह काम करती है. इनका पसंदीदा खाना मछली, मेंढक, केकड़ा, घोंघा, कीड़े मकोड़े होते हैं, जो जलीय वनस्पति भी खाते हैं. इनकी आयु करीब 30 साल होती है. सुरक्षित माहौल में 10 साल ज्यादा जीते हैं.

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समूह में उड़ान भरते हैं ये पक्षी

पर्यावरण एवं पक्षी प्रेमी यश सराफ ने बताया कि यह पक्षी सुरक्षा, खाना और ब्रीडिंग को लेकर अक्सर मूवमेंट करते हैं. फ्लेमिंगो गुजरात के कच्छ से यहां आते हैं. ब्रीडिंग स्थान पर भोजन की उपलब्धता और सुरक्षा में कमी को देखते हुए यह ब्रीडिंग सीजन के बाद एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं. माही बांध में भोजन की उपलब्धता के कारण इनका कुनबा यहां बना हुआ है. ये सामाजिक प्राणी होते हैं, जो समूह में उड़ान भरते हैं. एक समूह में इनकी संख्या 15 से 50 हो सकती है. फ्लेमिंगो आमतौर पर एक पैर पर खड़े दिखाई देते हैं. एक पैर पर खड़े होकर यह अधिकाधिक बॉडी हीट को संरक्षित करता है.

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