Rajasthan: भारत विभिन्न धर्मों के साथ ही प्राचीन समय से आस्थाओं वाला देश है यहां त्योहार और मंदिरों से लोगों का धार्मिक और भावनात्मक जुड़ाव देखने को मिलता है. सावन के महीने में शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है और शिवालयों में पूजा अर्चना के साथ शिव अभिषेक और सहस्त्रघटों के साथ कांवड़ यात्राओं का दौर चलता रहता है.
सावन के इस पवित्र माह में आज बात टोंक जिले के आंवा गांव में स्थित 16वीं शताब्दी के समय से भी प्राचीन मंदिर राजकलेश्वर महादेव मंदिर की जो कि प्राकृतिक सौंदर्य के बीच एक तालाब किनारे मौजूद है. यहां मान्यता है कि यह मंदिर कभी नाथ सम्प्रदाय के नागा साधुओं की तपस्या का केंद्र रहा और औरंगजेब काल से जुड़े कई किस्से कहानियां यहां लोगों की जुबान पर प्रचलित हैं.
औरंगजेब ने की थी 'चराई माफ़'
मंदिर से जुड़े श्रदालु और पुजारी यान्ति कुमार शर्मा के अनुसार इस मंदिर से जुड़े चमत्कारों के किस्से लोगों की जुबान पर आज भी हैं. इस मंदिर के ऊपर कभी भी मधु मक्खियां नजर नहीं आती वहीं नागा साधुओं की तपस्या और चमत्कार के प्रभाव को औरंगजेब ने भी मान लिया था और आसपास की पहाड़ियों पर आज भी चराई माफ है जो कि सालों से चली आ रही है.
आंवा का राजकलेश्वर महादेव मंदिर देवस्थान विभाग के अधीन आता है और पर्यटन दृष्टि से महत्वपूर्ण इस शिव मंदिर में साल भर श्रदालुओ की भीड़ उमड़ती है. वहीं सावन के महीने में दूर-दूर से भक्त यहां पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं. मंदिर से जुड़ी कई कहानियां आज भी लोगों की जुबान पर मौजूद है कि किस तरह जब औरंगजेब ने साधु-संतों को जेलों में डालना शुरू किया तो यहां के नागा साधुओं को भी जेल ले जाया गया और जब दिल्ली में संतो के चमत्कार देखने को मिले तो बादशाह भी नतमस्तक हो गया.
मंदिर के पुजारी मोहन नाथ के अनुसार
राजकलेश्वर महादेव मंदिर की पिछले 43 सालों से पूजा कर रहे मोहन नाथ के अनुसार यह मंदिर लगभग 11 सौ साल पुराना मंदिर है और यहां नागा साधुओं की बाबा बालकनाथ सहित 4 जिन्दा समाधियां भी इस स्थान पर बनी हुई हैं. लोगों की आस्था है कि 7 चौदस मंदिर के तालाब में स्नान करने से सभी प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है.
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